भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की एक धारा हैं 420, छल कपट या बेईमानी से किसी को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक चोट पहुँचाने पर इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करवाई जाती हैं।
हाल ही में Zee5 पर इसी नाम की एक फ़िल्म रिलीज़ हुई हैं। मैंने भी देख ली। कैसी लगी? अच्छी या ख़राब। आपको देखनी चाहिए या नहीं?
इन सभी सवालों के जवाब देने के लिए ही में इस आर्टिकल को लिखने बैठा हूँ।
420 IPC Movie Review in Hindi
420 IPC Movie Hindi Review: स्टोरी
420 IPC फ़िल्म की कहानी हैं CA बंसी केसवानी की, जिसका किरदार निभाया हैं विनय पाठक ने।
बंसी बड़े बड़े लोगों के अकाउंट्स को हैंडल करता हैं। नेता और बिजनेसमैन टाइप के लोगों के साथ उसका उठना बैठना हैं।
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परिवार में सिर्फ तीन लोग हैं। बंसी खुद, उसकी पत्नी पूजा केसवानी यानी गुल पनाग और एक बेटा अमित केसवानी।
सीधे साधे से दिखने वाले बंसी पर डेढ़ करोड़ का चेक चुराने का आरोप हैं।
वो शक के घेरे में हैं, उसके घर पुलिस की रेड पड़ती हैं और वो जेल पहुँच जाता हैं। यहीं से शुरू होता हैं कोर्टरूम ड्रामा।
पुराने केस खुलते हैं और फिर किस तरह की सच्चाई सामने आती हैं? चेक किसने चुराए होते हैं? चेक चुराने के पीछे क्या मकसद होता हैं? बस इसी की कहानी हैं 420 आईपीसी।
इससे पहले कोर्टरूम ड्रामा और फ़्रॉड्स को लेकर कई फ़िल्में और वेब सीरीज़ बनी हैं।
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कोरोना टाइम के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच कॉम्पिटिशन तगड़ा हो गया हैं।
हर प्लेटफॉर्म चाहता हैं कि हमारे पास जो कोई भी आए, उसे हर तरह का कॉन्टेंट मिले, हर जॉनर का।
जो कि सही भी हैं। मगर इस दबाव में खानापूर्ति करने से बात नहीं बनती।
राईटर डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने यहाँ यही किया हैं यानी कि खानापूर्ति।
उन पर लॉ और कोर्टरूम से जुड़ा कॉन्टेंट को बनाने का इतना दबाव था कि वो स्क्रीन पर भी फील होगा। जैसे तैसे बस चीजें ख़त्म की गई हैं।
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चलिए यहाँ तक तो जस्टिफाईड़ हैं, सारी फ़िल्में मुगल-ए-आज़म नहीं होती मगर मनीष के डायरेक्शन में कहीं से भी कोई प्रयास दिखाई ही नहीं देता।
कोर्टरूम ड्रामा पर बनी कई ऐसी फ़िल्में हैं जिनके एक एक सीन पर सीटी बजाने का मन कर जाता हैं, जॉली एल.एल.बी, एतराज़, रुस्तम, बहुत सारी फ़िल्में हैं।
जब कोर्ट के अंदर वकीलों की दलीलें चलती हैं तो सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं। मगर यहाँ हिसाब किताब एकदम दिल्ली के मौसम जैसा हैं, ठंडा, बिल्कुल ठंडा।
डॉयलोग्स, बिना धार वाले चाकू जैसे, कोई शार्पनेस नहीं। क़रीब दो घण्टे की इस फ़िल्म को देखते हुए कितनी ही बार ऐसा फील होगा, छोड़ो यार, इससे अच्छा कुछ ओर देख लेते हैं।
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मगर आपके लिए मैंने ये सितम भी उठाया हैं। वैसे फ़िल्म का नाम बिल्कुल सही रखा हैं। ये फ़िल्म अपनी ऑडिएंस के साथ चारसौबीसी ही करती हैं।
ट्रैलर इतना लज़ीज़ और स्वादिष्ट बनाया की इसे देखकर आपको खा लेने का, मेरा मतलब हैं देख लेने का मन करेगा।
लेकिन इसके झाँसे में बिल्कुल मत आइएगा, वरना फ़िल्म के अंत में आप खुद को ही कोसते रह जाएंगे।
आखिरकार कमी कहाँ रह गयी? कमी ही कमी हैं, वैसे तो ये फ़िल्म विनय पाठक और गुल पनाग के लिए देखी गयी।
चिंटू का बर्थड़े और भेजा फ्राई में विनय की शानदार एक्टिंग को भला कौन भूल सकता हैं।
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यही हाल गुल पनाग का भी हैं। दोनों इतने स्ट्रांग एक्टर हैं मगर राईटर डायरेक्टर ने उनके किरदार को इतना हल्का बनाया की कुछ कुछ सीन में तो ये दोनों भी उबाऊ लगने लगते हैं।
जब बंसी के घर रेड पड़ती हैं और गुल पनाग ऑफ़िसर्स के पीछे चलते चलते कहती हैं “आपको घर में कुछ नहीं मिलेगा।”
ऐसा लगता हैं ये शब्द बड़ी मजबूरी में उनसें कहलवाए जा रहें हैं। फिर कोर्टरूम वाले एक सीन में विनय पाठक को सिर्फ एक कोने में जगह दी हैं।
उनके पास ना तो बोलने को कोई डॉयलोग्स हैं और ना ही कैमरे को उनकी तरफ घुमाया जाता हैं।
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ऐसा लगता हैं जैसे वो किसी “एक्स्ट्रा” की तरह सेट पर मौजूद हैं।
420 IPC Movie Hindi Review: एक्टिंग और परफॉर्मेंस
अब बात कर लेते हैं उन दो किरदारों की जिन्हें स्क्रीन पर स्पेस मिला हैं।
सरकारी वकील सावक जमशेद जी जिसका रोल प्ले किया हैं रणवीर शौरी ने, और नोसिखिऐ वकील बने रोहन मेहराकी।
पर्सनल ओपिनियन बताऊँ तो जैसे ही रणवीर शौरी ने अपने लहज़े में बोलना शुरू किया, हमें लगा कि “सारा भाई वर्सेज़ सारा भाई” वाले रोशेष को देख रहें हैं, वहीं मोमा वाले रोशेष।
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उन्होंने पूरी कोशिश की कि वो किरदार में रहें, मगर ओवरऑल वो स्क्रीन पर फेक ही फील करवाते हैं।
रोहन मेहरा का हाल तो उससे भी बुरा हैं। इतने सीरियस केस में भी वो बिलकुल कूल टाइप हरकतें करते हैं।
मानें एक वक़ील में अपने क्लाइंट को बचाने के लिए कोई गर्मजोशी नहीं दिख रहीं।
तो अभिनय के लिहाज़ से भी फ़िल्म पूरी तरह बेकार रहीं। विनय पाठक को छोड़कर सभी ने सिर्फ अपने कम्फर्ट जॉन में रहकर एक्टिंग की हैं।
किसी ने भी ये जिम्मा नहीं उठाया कि कहानी तो जैसी थी वैसी थी, कम से कम अपनी एक्टिंग से ही उसे उठा लेते।
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रहीं बात विनय की तो, ना तो राईटर्स ने उन्हें डॉयलोग्स दिए और ना ही उतनी सहूलियत, की वो अपनी एक्टिंग का जादू चला पाते।
420 IPC Movie Hindi Review: सिनेमेटोग्राफी
अब टेक्निकल पॉइंट से भी देख लेते हैं, फ़िल्म में कई सीन कोर्टरूम ड्रामा वाले हैं मगर यहाँ भी ये फ़िल्म थोड़ा पीछे रह जाती हैं।
जब किसी गहरे मुद्दे पर कोर्ट में दलीलें होती हैं तो दो चीजें जरूरी होती हैं, शार्ट डिवीजन और कैमरा मूवमेंट।
ऐसी फ़िल्मों में अक्सर दर्शक चाहते हैं कि कैमरा मूवमेंट फ़ास्ट हो। हर लाईन, हर पंच पर लीड के फेशियल एक्सप्रेशन दिखाएं।
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मगर राज चक्रवर्ती इसमें चूक गए। राज चक्रवर्ती वहीं हैं जिन्होंने साल 2007 में आई आवारापन को शूट किया था और शाहरुख प्रीति की वीर-ज़ारा में वो असिस्टेंट कैमरामैन थे।
तो कुल मिलाकर बात ये हैं कि फ़िल्म इतनी भी खास नहीं कि अपने वीकेंड के 2 घण्टे इस पर खर्च किए जाएं।
420 IPC Movie Hindi Review: रेटिंग्स
मेरी तरफ से 420 IPC फ़िल्म को 5 में से 1 स्टार्स मिलते हैं। एक स्टार मिलेगा फ़िल्म की कास्टिंग के लिए, जिसमें आपको विनय पाठक और गुल पनाग जैसे सधे हुए कलाकार देखने को मिले हैं।
वहीं अगर फ़िल्म की नेगेटिव साइड की बात करें तो एक स्टार कटेगा फ़िल्म की बेकार राईटिंग के लिए, जहाँ हमनें नोटिस किया कि कलाकारों को सही से डॉयलोग्स तक भी नहीं दिए गए।
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दूसरा स्टार कटना चाहिए सपोर्टिंग कैरेक्टर्स की एक्टिंग और परफॉर्मेंस के लिए, जो इस फ़िल्म को ओर ज्यादा बोलिंग बना देती हैं।
तीसरा स्टार कटेगा ख़राब सिनेमेटोग्राफी के लिए, जिसके कारण हमें सही वक्त पर सही सीन अच्छे से देखने को नहीं मिला।
और लास्ट चौथा स्टार कटेगा 2 घण्टे खराब करने के लिए, इसके बजाय अगर कुछ ओर देखा जाता तो शायद इतना अफ़सोस नहीं होता।
खैर, मैंने तो आपके लिए इसे देखा हैं, लेकिन अगर आप सिर्फ टाईमपास के लिए कुछ ढूढं रहें हैं तो इससे बेहतर विकल्प आपकी आँखों के सामने मौजूद हैं, बस इंतज़ार हैं, आँखे घुमाने का।
इसी के साथ 420 IPC फ़िल्म का रिव्यू बस इतना ही था, में आपसे फिर से मिलूँगा किसी दूसरी फ़िल्म के रिव्यू में, तब तक के लिए आप हमसे फेसबुक पर जुड़ सकतें हैं।
420 IPC Movie Hindi Review: डिटेल्स
डायरेक्टर – मनीष गुप्ता
राईटर – मनीष गुप्ता
कास्ट – विनय पाठक (बंसी केसवानी), गुल पनाग (पूजा केसवानी), रोहन विनोद मेहरा (बीरबल चौधरी), आरिफ़ जकारिया (नीरज सिन्हा), रणवीर शौरी (जमशेदजी)
रनिंग टाइम – 1 घण्टा 38 मिनट
रिलीज़ डेट – 17 दिसंबर 2021
प्लेटफॉर्म – Zee5