83 Movie Review: भारत की पहली वर्ल्डकप ट्रॉफी की कहानी

83 मूवी रिव्यु (स्टोरी, एक्टिंग, स्टार कास्ट) 83 movie review in hindi

अपने भारत में गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड के अलावा जो तीसरा सबसे इंट्रेस्टिंग शब्द हैं वो हैं क्रिकेट। बचपन में बल्ले को पकड़कर गेंद को जोर से मारना, इससे बड़ा सपना किसी का नहीं हो सकता।

लेकिन क्या आपको मालूम हैं क्रिकेट खुद कभी भारत में एक सपने जैसा था। वर्ल्डकप जीतना तो छोड़ो उसमें खेलने के लिए ही सालों साल मेहनत करना पड़ता था।

और भी कई सारे किस्से हैं जो कैलेंडर की डेट्स को ओर भी पीछे ले जाएंगे पर क्रिकेट के प्रति आपके प्यार को ओर अधिक मजबूत कर देंगे।

में बात कर रहा हूँ 83 मूवी की जो 1983 वर्ल्डकप पर आधारित हैं, जिसमें दिखाया गया हैं कि कैसे कपिल देव की अगुवाई में हमारी भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्डकप जीतने के सपने को साकार किया।

83 Movie Review

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83 Review: स्टोरी

83 फ़िल्म की कहानी 1983 वर्ल्डकप से शुरू होती हैं जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम सबसे बड़ी अंडरडॉग बनकर एंट्री मारती हैं।

अंडरडॉग समझते हो ना, जिस पर लोग चुटकुले बनाते हैं और जिसका काम बाकी की टीमों को आगे आने वाले मैचों के लिए प्रेक्टिस कराना होता हैं।

हमारी हार जीत से दुनियाँ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

फिर आता हैं एक इंटरव्यू, जिसमें हमारे कप्तान साहब यानी कपिल देव जिसका किरदार निभाया हैं रणवीर सिंह ने, मीडिया के सामने खुल्लमखुल्ला बोल दिए “बॉस, हम आए हैं वर्ल्डकप जीतने, सामने टीम कोई भी हो हमको घण्टा फ़र्क नहीं पड़ता।”

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अब ये तो एक सपना था, उसे हकीकत में बदलने के लिए भारत को कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे, उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लो की तब की चैम्पियन टीम वेस्टइंडीज का एक गेंदबाज जो 6 फिट 8 इंच लम्बा था, वो हाथ ऊपर करके सीधा 12 फिट ऊँचाई से बॉल फेंकता था जो बैट्समैन का चेहरा और जबड़ा दोनों तोड़ सकती थी।

लेकिन 25 जून 1983 के अखबार में फ्रंट पेज पर जो फ़ोटो छपा उसमें साफ साफ कपिल देव के हाथों में एक चमकती हुई चीज देखी जा सकती थी, जो सिर्फ एक वर्ल्डकप की ट्रॉफी नही थी बल्कि एक सपना था। लाखों करोड़ों लोगों का सपना, जो फाइनली हकीकत में बदल चुका था।

83 world cup trophy

चुटकुले तो अब भी बन रहें थे लेकिन इस बार हम पर कोई नहीं हँस रहा था, हम सब पर हँस रहें थे।

देखो बॉस, 83 मूवी देखना इसलिए जरूरी हैं क्योंकि हमनें 83 वर्ल्डकप के सिर्फ किस्से सुने हैं दूसरों के मुंह से या हाथों से।

लेकिन अंदर की कहानी, उसके बारे में में तो आज से पहले कुछ भी नहीं जानता था, यहाँ तक कि उस वक्त की टीम के मेंबर्स से भी इंट्रो आज इस फ़िल्म में ही हुआ।

83 मूवी के पास वो ताकत हैं जो थिएटर को स्टेडियम में बदल सकती हैं। फ़िल्म का एक एक सीन इतना पर्सनल और इमोशनल हैं जैसे मानों हम खुद टीम के साथ इंग्लैंड पहुँच गए हो।

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पूरी जर्नी एक मामूली टीम की स्पेशल बनने तक काफी डिटेल के साथ धीरे धीरे रिवील की जाती हैं। साथ में पीछे फैमिली वाला ऐंगल चल रहा हैं जो फ़िल्म में एंटरटेनमेंट का बखूबी ध्यान रखता हैं।

सबसे कमाल की बात, 83 मूवी सिर्फ वन मेन शो नहीं हैं। कैप्टन को फोकस में डालकर बाकी प्लेयर्स का क्रेडिट छिनने जैसा बिल्कुल नहीं हैं।

क्रिकेट एक टीम गेम हैं और डायरेक्टर साहब ने पूरा ध्यान रखा हैं की एक एक कैरेक्टर को आपके सामने हीरो बनाकर प्रस्तुत किया जाए।

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कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा नहीं। हर मैच में एक नया फेवरेट बनेगा आपका। डायरेक्शन की ताकत तो इतनी ज्यादा हैं कि भारतीय क्रिकेट टीम पर आधारित मूवी में वेस्टइंडीज टीम को एक व्यक्तिगत कैरेक्टर बना दिया जो जिंदगीभर याद रखा जायेगा। कमाल हैं बॉस।

83 Review: एक्टिंग

सुनने में आया था कि 83 फ़िल्म में कपिल देव के किरदार को रणवीर सिंह निभा रहें हैं लेकिन पूरी फिल्म में मुझे रणवीर सिंह कहीं नहीं दिखे।

नहीं सच में, में इस बन्दे की एक्टिंग के आगे नतमस्तक हूँ। आपको फ़िल्म देखकर कही ऐसा नहीं लगेगा कि कपिल देव के किरदार को कोई ओर प्ले कर रहा हैं।

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पूरी फिल्म में आपको सिर्फ कपिल देव मिलेंगे, एक सेकंड भी रणवीर सिंह बाहर नहीं आने वाले।

मतलब चलने का तरीका, बोलने का ढंग, लुक वाइज ट्रांसफॉर्मेशन या फिर क्रिकेट शॉट्स, हर एक चीज को हुबहू फ़ोटोकॉपी मशीन बनकर जैसा का तैसा छाप दिया हैं जनाब ने।

सिर्फ रणवीर ही क्यों, 83 मूवी की पूरी कास्ट आग की तरह एकदम गरमा गरम हैं, बिल्कुल रियल और नैचुरल एक्टिंग।

83 movie star cast

अब हमनें इन लेजेंड्री प्लेयर्स को मैदान पर खेलते तो देखा नहीं लेकिन इस फ़िल्म को देखकर ऐसा लगा जैसे ये लोग उनसे कम नहीं हैं।

यहाँ तक कि क्रिकेट को साइड में रख दो, ये लोग जब आपस में मजाकिया कन्वर्सेशन करते हैं तो ऐसा फील होगा जैसे सालों पुराने जिगरी दोस्त एक दूसरे के मज़े ले रहें हो।

हँसी आएगी, बुरा लगेगा, दिल टूटेगा और क्लाइमेक्स में आंखों से आसुँ ना बह जाए तो भईया आप इंसान नहीं पत्थर हैं, ये समझ लीजिए।

83 मूवी रेटिंग

तो यार मेरी तरफ से 83 मूवी को मिलेंगे 5 में से 4.5 स्टार। पहला तो क्रिकेट वर्ल्डकप को एक मज़ेदार कहानी के रूप में प्रस्तुत करने वाली राईटिंग के लिए। दूसरा कमाल का डायरेक्शन, जो 3 घण्टे के लिए थिएटर को स्टेडियम में बदल देगा। इमोशन्स का पूरा अटैक होने वाला हैं जिससे आप भाग नहीं पाओगे।

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तीसरा जबरदस्त कास्टिंग के लिए। मतलब थिएटर से बाहर निकलने पर भी हर कैरेक्टर आपके दिमाग मे छप सा जाएगा और रणवीर सिंह, इन्हें 21 तोपों की सलामी अलग से।

चौथा फ़िल्म का सब्जेक्ट, जो किस तरीके से खत्म होगा, इसका पता होने के बावजूद क्लाइमेक्स को एकदम रोंगटे फील कराने वाले एक्सपीरिएंस के लिए। वाकई में आंखों से आसुँ आ जाएंगे।

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बाकी बचा आधा स्टार फ़िल्म के म्यूजिक के लिए। मतलब सीन के बैकग्राउंड में अरिजीत सिंह की आवाज दिल को पकड़ सी लेती हैं।

अब ये जो आधा स्टार कटा हैं इसकी वजह 83 फ़िल्म की मुख्य कहानी में डाले गए बिना जरूरत वाले कुछ ऐंगल्स जो फ़िल्म को थोड़ा लम्बा खींच देते हैं।

दीपिका पादुकोण काफी अच्छी लग रहीं हैं लेकिन फ़िल्म में उनका होना ना होना एक बराबर हैं। शायद उनकी जरूरत ही नही थी।

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लेकिन ये छोटी मोटी बातें इग्नोर मारो, और थिएटर में जाकर 83 फ़िल्म को जरूर देखों। ऐसा एक्सपीरिएंस दुबारा नहीं मिलेगा।

83 मूवी डिटेल्स

डायरेक्टर – कबीर खान
राईटर – सुमित अरोड़ा (डायलॉग), वसन बाला (स्क्रीनप्ले), संजय पुरण सिंह चौहान (स्क्रीनप्ले)
कलाकार – रणवीर सिंह (कपिल देव), दीपिका पादुकोण (रोमी देव), ताहिर राज भसीन (सुनील गावस्कर), जीवा (कृष्णामचारी श्रीकांत), साकिब सलीम (मोहिंदर अमरनाथ), जतिन सरना (यशपाल शर्मा), चिराग पाटिल (संदीप पाटिल), दिनकर शर्मा (कीर्ति आजाद), निशांत दहिया (रोजर बिन्नी), हार्डी संधू (मदन लाल), साहिल खट्टर(सईद किरमानी), एमी विर्क (बलविंदर सिंह संधू), आदिनाथ कोठारे (दिलीप वेंगसरकर), धैर्य करवा (रवि शास्त्री), आर. बद्री (सुनील वाल्सन), पंकज त्रिपाठी (पीआर. मान सिंह), बोमन ईरानी (फ़ारुख इंजीनियर) और अन्य।
रनिंग टाइम – 2 घण्टे 42 मिनट

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