Bell Bottom Movie Review in Hindi: Release Date, Cast, Story

हम लोग एक audience के तौर पर किसी भी फ़िल्म को दो तरीकों से देखते हैं, पहला तो बिना किसी उम्मीद के, की स्क्रीन पर जो भी आएगा उसके साथ चल पड़ेंगे।

लेकिन दूसरा एंगल हैं कॉन्टेन्ट वाला, मतलब जो भी देखना हैं वो अलग होना चाहिए, सबसे बढ़िया होना चाहिए जिसे देखने में मजा भी आए।

लेकिन इस सेफ़्टी के चक्कर में अक्सर creativity मतलब कुछ नया करने की इच्छा अब धीरे धीरे ख़त्म सी हो गयी हैं जिसका सबसे बड़ा उदाहरण बनकर आई हैं अक्षय कुमार की नई फ़िल्म बेल बॉटम।

अक्षय कुमार आ गए हैं फिर से वो भी डबल ड्यूटी के साथ, एक तो बॉलीवुड की डूबती नैय्या को पार लगाना हैं और दूसरा कोरोना को हटाकर audience को थिएटर तक लाना हैं।

Bell Bottom का एक लाइन में रिव्यू, इसमें वो सब कुछ हैं जो आप देखना चाहते हो लेकिन वो जिसके बारे में हम जानते ही नहीं हैं, कुछ unexpected surprise फ़ेक्टर वो पूरी तरह missing हैं।

Bell Bottom Movie Review in Hindi: Release Date, Cast, Story

Bell Bottom Cast (स्टार कास्ट)

फ़िल्म का सबसे अहम किरदार हैं अंशुल मल्होत्रा का जिसे अक्षय कुमार ने निभाया हैं। ये फ़िल्म में रॉ के एजेंट बने हैं।

राधिका मल्होत्रा, ये अंशुल मल्होत्रा की बीवी हैं जिसका किरदार निभाया हैं वाणी कपूर ने।

लारा दत्ता जहाँ देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रोल प्ले कर रहीं हैं वहीं आदिल हुसैन ने एन.एफ. संतूक और देंज़िल स्मिथ ने आर.एन. काओ का कैरेक्टर प्ले किया हैं।

नेगेटिव कैरेक्टर में दलजीत सिंह उर्फ़ डोडी के किरदार को निभाया हैं जैन खान दुर्रानी ने जबकि अदीला रहमान के किरदार को निभाया हैं हुमा कुरैशी ने।

Bell Bottom Story (कहानी)

प्लेन हाइजेक, ये Bell Bottom फ़िल्म का थीम हैं जहाँ 200 से ज्यादा लोगों को किडनैप करके जेल में बंद कुछ आतंकवादियों को आजाद करवाने की तैयारी की जा रहीं हैं।

साथ में पैसा भी चाहिए और भारतीय सरकार को कमजोर दिखाना वो अलग से।

अब ये गन्दा सा मिशन पूरी तरह से सफल हो जाता अगर कहानी में Bell Bottom की entry ना हुई होती तो।

ये जनाब सीक्रेट सर्विस रॉ के एजेंट हैं और जिंदगी को शतरंज के खेल की तरह खेलते हैं चालाकी और ख़तरे का खतरनाक जोड़।

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अभी ये सीक्रेट मिशन हैं इंडिया और पाकिस्तान की दुश्मनी अमर रहें, इस चक्कर में प्लेन के अंदर फँसी हुई सवारियों को बाहर निकालना और साथ में इन आतंकवादियों को जेल में डालना, इनके उन्ही दोस्तों के पास जिन्हें आजाद करने के ये लोग सपने देख रहें हैं।

देखो साधारण सी बात हैं कि फ़िल्म कैसे खत्म होगी और आख़िरी में कौन जीतेगा? हम सब जानते हैं।

लेकिन कहानी कैसे और किस तरीके से क्लाइमेक्स तक पहुँचेगी? उसके ऊपर ही सब कुछ निर्भर करता हैं।

पहले तो अच्छी बातों पर आ जाओ, फ़िल्म में एक आसान सी कहानी को मजेदार और intelligent तरीके से दिखाया गया हैं।

Bell Bottom फ़िल्म को कुल तीन हिस्सों में बांटा गया हैं।

अतीत की यादें, जिसकी वजह से Bell Bottom का मिशन शुरू होता हैं, फिर वर्तमान के चैलेंज जिनको पूरा करने के बहाने अक्षय कुमार के कैरेक्टर का तेज दिमाग और एक्शन दोनों को दिखाया जाता हैं।

फिर तीसरा हैं भविष्य मतलब आगे कहानी में क्या होगा? वो आपको फ़िल्म के साथ connected रखता हैं।

कमाल की बात ये की फ़िल्म में कुछ परिस्थितियां ऐसी आती हैं जहाँ पर जो audience सोचती हैं वो होता ही नहीं हैं।

हीरो की बोली गयी हर बात सही नहीं होती, ये चीज़ हमनें बॉलीवुड में कभी देखी ही नहीं, ये एंगल नया हैं और दिलचस्प भी।

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दूसरे नम्बर पर Bell Bottom फ़िल्म का कॉन्सेप्ट नया और ओरिजनल हैं और हमें प्लेन हाइजेक देखने की इतनी आदत भी नहीं हैं तो इससे फ़िल्म मेकर्स को audience को कण्ट्रोल करने का एक advantage जरूर मिल जाता हैं।

जो दिखता हैं हम बस उतना देखते हैं ज्यादा दिमाग लगाने की कोशिश ही नहीं होती, साथ में ये जो Bell Bottom की personal और professional, दोनों साइड्स में जिस तरीके से बैलेंस को बनाकर रखा गया हैं वो आपको जरूर आकर्षित कर लेगा।

आप चाहते हो कि ये बन्दा जीते।

लेकिन फ़िल्म में हीरो के साथ साथ एक best part ये की काफ़ी वक्त के बाद एक ऐसा विलेन देखने को मिलेगा जो सच में डराता हैं।

इनके scenes भले ही कम हैं लेकिन जितने भी हैं उनको देखकर इस बन्दे के confidence को देखकर ही डर लगने लगता हैं।

हॉलीवुड सिनेमा हमें क्यों पसन्द हैं?

क्योंकि वो साधारण से अलग हैं। उदाहरण के तौर पर बैकग्राउंड में शांति वाला म्यूजिक लेकिन स्क्रीन पर जबरदस्त एक्शन मारधाड़।

बस ठीक यहीं फ़्लेवर आपको Bell Bottom में भी दिखेगा।

रेट्रो जमाने की जो टोन डाली गई हैं मिशन के बैकग्राउंड में, वो कहानी बताने के तरीके को काफ़ी ताक़तवर बना देता हैं।

अब थोड़ा नेगेटिव्ज की भी बात कर लेते हैं।

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नीरजा याद हैं आपको?

वास्तविक घटना पर बनी ये फ़िल्म देखकर सच में सब की हालत खराब हो गयी थी।

बस उस type के emotions आपको यहाँ Bell Bottom में महसूस नहीं हो पाएंगे, उसका कारण ये हैं कि प्लेन के अंदर जो ये बंदूक के साथ लोग घूम रहें हैं वो बस घुमते ही रहतें हैं, सवारियों के साथ बातचीत नहीं होती।

जिसके द्वारा audience को डराया जाए या फिर खुद से नफ़रत करने को मजबूर किया जाए।

ऐसा कुछ नहीं होता और ना ही गुस्सा आता हैं, आप बस अगले scene में क्या होने वाला हैं ये जानना चाहते हो।

फिर ये बीच बीच में डाले गए गाने जो कहानी को सपोर्ट करने की जगह audience को main story से दूर ले जाते हैं।

बॉलीवुड की ये टिपिकल मसाला डालने वाली गन्दी आदत से पीछा छुड़ा पाना वाकई बड़ा मुश्किल हैं दोस्त।

और फिर ये one man show, सिर्फ एक आदमी होशियार हैं बाकी सब बेकार, ये भी फ़िल्म को थोड़ा predictable बना देता हैं।

मिशन में सब कुछ अपना हीरो करेगा बाकी सब लोग सिर्फ स्क्रीन भरने का काम करेंगे।

लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये की वास्तविक घटना की कहानी को जैसे का तैसा ना उठाकर उसमें जबरदस्ती घुसाए गए ट्विस्ट एंड टर्न्स की वजह से Bell Bottom हकीकत से थोड़ा दूर और एक मामूली सी फ़िल्म बनकर रह जाती हैं।

जैसे फ़िल्म शेरशाह में फ़िल्म मेकर्स ने कैप्टन विक्रम बत्रा की life को बिना कुछ भी बदलाव किए जैसे का तैसा प्रस्तुत किया और जिसका नतीजा ये हुआ कि इसे लोग सिर्फ एक फ़िल्म नहीं बल्कि emotion के तौर पर याद करते हैं।

एक्टिंग और परफॉर्मेंस

एक्टिंग में अक्षय कुमार ने हर बार की तरह इस बार भी बेहतरीन काम किया हैं जो कैरेक्टर मिला उसे पॉवरफुल तरीके से प्रस्तुत किया हैं इन्होंने।

एक सीक्रेट रॉ एजेंट के अवतार में ये बिल्कुल सटीक बैठते हैं।

सारे shades मिलेंगे उनके emotions, आँसू वाला चेहरा, प्यार, बदले की आग, तेज दिमाग और एकदम जबरदस्त कॉमेडी टाइमिंग।

एक सीरियस फ़िल्म को भी हल्की और मजाकिया बनाने में अक्षय कुमार उस्ताद हैं बॉस।

लेकिन यहाँ एक चीज़ जरूर बताना चाहूँगा में की जब ये साधारण इंसान से रॉ के एजेंट बनते हैं तो इनके appearance में किसी तरह का बदलाव नहीं होता, कोई transformation नहीं जैसे मानों ये बचपन से ही रॉ के एजेंट थे।

फ़िल्म मेकर्स इधर चूक गए।

इंदिरा गांधी के कैरेक्टर में लारा दत्ता का मेकअप जबरदस्त हैं, इसमें कोई शक नहीं लेकिन कैरेक्टर का जो प्रभाव पड़ना चाहिए था वो missing हैं यहाँ।

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बस डॉयलोग्स हैं पर उनका असर उतना महसूस नहीं होगा।

वाणी कपूर तो बस दिखावे के लिए हैं Bell Bottom में।

बॉलीवुड की सोच हैं कि फ़िल्म में हीरो के साथ हीरोइन नहीं होगी तो कहानी अधूरी रह जायेगी, बस उसी जिम्मेदारी को पूरी लगन के साथ निभा रहीं हैं मैडम बिना किसी जरूरत के।

सपोर्टिंग कैरेक्टर्स में जैन खान ने कमाल की परफॉर्मेंस दी हैं दोस्त।

एक नेगेटिव कैरेक्टर प्ले करना वो भी इस तरीके से की थिएटर से निकलते ही आप उनको इंटरनेट पर ढूँढने लग जाओ, असली एक्टिंग इसे कहते हैं।

आदिल हुसैन ने भी ठीक ठाक प्रभावित किया हैं क्योंकि स्पेशल बनने का उनके पास मौका भी नहीं था, कुल 5-6 scenes हैं फ़िल्म में और उनमें उन्होंने पूरी ईमानदारी से काम किया हैं।

हुमा कुरैशी भी बस कहानी को पूरी कर रहीं हैं, इनकी परफॉर्मेंस अच्छी हैं या बुरी, परखने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

रेटिंग

तो यार मेरी तरफ से Bell Bottom को 5 में से 3.5 स्टार्स।

एक स्टार अतीत, वर्तमान और भविष्य में कहानी को अलग अलग बाँटकर साधारण से दिलचस्प बनाने वाले डायरेक्शन के लिए।

एक स्टार तेज भागने वाले स्क्रीनप्ले के लिए, 2 घण्टे कब ख़त्म हो जाएंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।

कारण ये हैं की स्क्रीन पर हर वक्त कुछ ना कुछ होता रहता हैं जिसके चलते एक सेकंड के लिए भी टाईमपास या बोरिंग वाली feel नहीं आएगी।

एक स्टार अक्षय कुमार की खुद अपने दम पर फ़िल्म को अंत तक ले जाने वाली strong परफॉर्मेंस के लिए।

और आधा स्टार मिशन हाइजेक के बैकग्राउंड में डाले गए रेट्रो म्यूजिक के लिए और कुछ कुछ परिस्थितियों में जैसा सोचा उसके उल्टा बाहर आने वाले scenes के लिए।

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बात करूँ नेगेटिव्ज की तो आधा स्टार कटेगा Bell Bottom में हीरो के opposite एक strong विलेन कास्ट करने के बावजूद उसको ज़रा सा भी ढंग से इस्तेमाल ना करने के लिए।

मतलब प्लेन हाइजेक scenes में डर, गुस्सा, नफ़रत कुछ भी महसूस नहीं होता।

आधा स्टार फ़िल्म के बिना जरूरत वाले गानों के लिए जो main कहानी के लिए audience का फोकस हटा देते हैं।

और फाइनल आधा स्टार real कहानी को भी फिल्मी बनाने की कोशिश में जिससे लॉजिक को कहीं कहीं पर नजरअंदाज किया गया उसके लिए।

बॉस इस डिपार्टमेंट में शेरशाह जैसा कोई नहीं।

वहाँ जो feeling थी वो दिल से बाहर आई थी, असली सच्चा connection महसूस हुआ था सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ, वो जादू अक्षय कुमार की Bell Bottom के साथ missing हैं दोस्त।

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