कॉमेडी और हॉरर, दो सबसे मुश्किल कैटेगरी हैं फ़िल्म बनाने के लिए, जिसमें हमारे बॉलीवुड की आदत हैं भूत में रोमांस घुसाना तो कॉमेडी में डबल मीनिंग डॉयलोग्स जिसका फाइनल रिज़ल्ट ये होता हैं कि ऐसी फिल्मों से उम्मीदें रहती ही नहीं।
लेकिन काफ़ी लम्बे चौड़े वक्त के बाद फाइनली कुछ ऐसा मिला हैं जो आपको हंसाएगा भी और हंसा कर डरायेगा भी।
में बात कर रहा हूँ Bhoot Police की, एक लाइन में रिव्यू लिखूं तो कुछ नया हैं कुछ अलग हैं।
कहानी भी हैं और कॉमेडी भी लेकिन अर्जुन कपूर और जैकलीन फर्नांडिस से आप लोगों को कौन बचाएगा।
Bhoot Police Movie Review in Hindi: Story, Cast, Rating
Bhoot Police Cast (स्टार कास्ट)
- सेफ़ अली खान – विभूति वैद्य / विभु (चीकू का बड़ा भाई)
- अर्जुन कपुर – चिरौंजी वैद्य / चीकू (विभु का छोटा भाई)
- जैकलीन फर्नांडिस – कनिका कुलभूषण / कनु (रोहित और मयू की बहन)
- यामी गौतम – माया कुलभूषण / मयू (रोहित और कनु की बहन)
- हनी यादव – रोहित कुलभूषण (कनु और मयू का भाई)
- जावेद जाफरी – इंस्पेक्टर छेदीलाल / छेदी
- अमित मिस्त्री – जी. एम. हरी कुमार
- जेमी लीवर – लता
- सौरभ सचदेवा – उलट बाबा (विभूति और चिरौंजी के पापा)
- यशस्विनी दायमा – गुड्डी
- गिरीश कुलकर्णी – सन्तों
- रूपेश टिल्लू – विनोद
- राजपाल यादव – गोगल बाबा
- कलसांग डोल्मा – किचकण्डी
- यंग्यकर डोल्मा – तितली (किचकण्डी की बेटी)
Bhoot Police Details (जानकारी)
- डायरेक्टर – पवन किरपलानी
- राईटर – पवन किरपलानी, सुमित बठेजा, पूजा लधा सुरती
- सिनेमेटोग्राफी – जया कृष्णा गुम्मादी
- म्यूजिक – क्लिंटन सेरेजो, सचिन-जिगर
- रिलीज़ डेट – 10 सितंबर 2021
- रनिंग टाइम – 129 मिनट
- बजट – 40 करोड़
Bhoot Police Story (कहानी)
किचकन्डी, पहले इसके बारे में जान लेते हैं पहाड़ों वाले जंगल में रहने वाली एक जिद्दी आत्मा जो इंसान के शरीर पर कब्जा करके अपना वो मिशन पूरा करती हैं जो जीते जी पूरा नहीं कर पाई।
फ़िल्में गवाह हैं कि आत्मा और इंसान के बीच में relationship बाबू शोना जादू टोना से भी ज्यादा complicated होता हैं इसकी एक झलक हमनें नुसरत भरुचा की फ़िल्म Chhorii में भी देखी थी।
तो इसीलिए फ़िल्म में entry होती हैं Bhoot Police की, दो भाइयों की अजीब सी जोड़ी।
एक भाई भूत को बिजनेस बनाना चाहते हैं क्योंकि उसे ये सब पाखण्ड और ढोंग लगता हैं तो दूसरा इसे काफ़ी personal लेते हैं और अपने बाबा का नाम रोशन करना चाहते हैं।
इनका मानना हैं कि आत्मा, भूत ये सब कोई पाखण्ड नहीं हक़ीक़त हैं जिसे स्वीकार करना जरूरी हैं।
अब ट्विस्ट ये हैं कि अंधविश्वास और डर का combination जिसका ईलाज बड़े बड़े डॉक्टर्स नहीं कर पाए तो ये छोटे मोटे तांत्रिक कैसे कर पाएंगे?
और वो भी तब जब सामना किचकण्डी से हो जो स्त्री और रूही जैसी फिल्मों की आत्माओं की भी माँ हैं।
रेफरेन्स के लिए लिख रहा हूँ बस समझ जाना आप।
अब देखना ये हैं कि यहाँ इंसान और शैतान में से कौन विजेता बनेगा?
देखो दोस्त, भूत को भगाने वाली फिल्में हम देख देखकर थक चुके होंगे अब तक जैसे अभी हाल ही में इमरान हाशमी की डीबुक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी जो वास्तविक घटना पर आधारित एक रीमेक फ़िल्म हैं।
लेकिन भूत बनाना ये थोड़ा अलग हटकर सब्जेक्ट हैं जो दिलचस्प लग रहा हैं।
हालाँकि पहली बार में ही फ़िल्म मास्टरपीस बन जाएगी इसकी उम्मीद रखना थोड़ा गलत होगा बॉस, ये experimental सिनेमा हैं और कुछ नया करने का खतरा उठाया गया हैं तो थोड़ा सब्र तो रखना पड़ेगा।
फ़िल्म की ताकत हैं असमंजस जिसे पब्लिक के दिमाग में create किया जाता हैं, भूत होते हैं या नहीं इसका जवाब हर scene के साथ बदलता रहता हैं।
वास्तव में आप पकड़ नहीं पाते की फ़िल्म के राईटर्स किस तरफ ज्यादा झुक रहें हैं? इसलिए कहानी आगे कैसे बढ़ेगी और ख़त्म कहाँ पर होगी? उसका अनुमान लगाना काफ़ी मुश्किल हैं।
और साथ ही आग में घी डालने का काम करते हैं धुएँ में लिपटे कुछ साइड कैरेक्टर्स जिनके बारे में कुछ भी साफ़ नहीं हैं।
एक छोटी बच्ची जो कुछ बोलती नहीं और एक पुलिस ऑफिसर जो बचपन का बदला लेना चाहता हैं।
अब ये कौन हैं, क्या करेंगे और कहानी से इनका क्या लेना देना हैं? पूरी तरह ये सवाल हमारे दिमाग में घर कर लेते हैं।
फ़िल्म में कॉमेडी वाला जो part हैं उसका जिम्मा उठाया हैं सेफ़ अली खान ने और उन्होंने हमें बिल्कुल भी निराश नहीं किया।
इनके किरदार को कुछ इस तरह लिखा गया हैं कि जब ये साधारण डायलॉग भी बोलते हैं तो हँसी आ जाती हैं, इनकी कॉमेडी टाइमिंग परफेक्ट हैं बॉस।
लेकिन अर्जुन कपूर का केस इनसे बिल्कुल उल्टा हैं, कॉमेडी और इंसानियत इन दोनों के बीच में बेचारे फँस जाते हैं और साथ ही एक्टिंग और expression, इन दोनों से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं अपने अर्जुन भईया का।
चलो अब बात करते हैं फ़िल्म की सबसे अहम चीज़ के बारे में – हॉरर, भूतिया कॉन्टेन्ट जिसे आसान शब्दों में बयां करूँ तो बिल्कुल एवरेज़ हैं।
मेरे वो दोस्त जो हॉलीवुड लेवल का हॉरर कॉन्टेन्ट देखना पसन्द करते हैं उनके लिए तो ये एकदम जीरो हैं और जो बेचारे भूत के नाम से ही आँख बंद और पेंट गीली कर देते हैं उनके लिए तो भईया Bhoot Police किसी कमाल की फ़िल्म से कम नहीं।
सबसे जरूरी चीज़ पता हैं क्या? किसी भी फ़िल्म में कॉमेडी और हॉरर के बीच में एक परफेक्ट बैलेंस होना चाहिए जैसा हमनें फ़िल्म स्त्री और कंचना में देखा था।
बस Bhoot Police ऐसी फिल्मों की सफलता को कॉपी करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रहीं हैं।
फ़िल्म स्त्री से गाँव से भूत भगाने वाला कॉन्सेप्ट उठाया जाता हैं तो कंचना से फ़िल्म में ग्लैमर डालने के तरीके सीख लिए जाते हैं।
ग्लैमर से याद आया जैकलिन फर्नांडिस का Bhoot Police में सिर्फ यहीं तो काम हैं बाकी एक्टिंग और डायलॉग बोलने का तरीका आपके आँख और कान दोनों को जख्मी कर सकता हैं गुरु।
दूसरी ओर यामी गौतम छोटे और कम टाइम वाले रोल में छा जाती हैं, में इनके बारे में कुछ ज्यादा बात नहीं करूँगा वरना फिर कहोगे की स्पॉइलर दे दिया यार।
लेकिन बंदी का एक्टिंग वेरिएशन कमाल का हैं बॉस, रोना, गाना, डराना कुछ भी करवालों इनसे भईया।
जिन्हें अभी तक समझ नहीं आया कि Bhoot Police फ़िल्म को देखना हैं या नहीं तो भईया एक बार देखने लायक तो हैं और मस्त टाईमपास भी हो जाएगा आपका।
बॉलीवुड से एक नए कॉन्टेन्ट के दर्शन होंगे और सेफ अली खान आपको कॉमेडी और हॉरर के बीच confuse करके रख देंगे।
Bhoot Police Review: रेटिंग
तो यार मेरी तरफ से Bhoot Police फ़िल्म को 5 में से 3 स्टार्स।
एक स्टार तो मिलेगा हर बार की तरह भूत भगाने वाले टॉपिक की जगह कुछ नया कुछ fresh भूत बनाने वाला टॉपिक लाने के लिए।
एक स्टार फ़िल्म में भूत क्यों हैं कहाँ से आया? इसका जवाब देने के लिए जो कहानी तैयार की गई हैं वो काफी बड़ा surprise हैं और साथ में बैकग्राउंड में खुद पर शक करवाने वाले कैरेक्टर्स को इतने कमाल के तरीके से लिखने वाली राईटिंग को ईनाम देना तो बनता हैं बॉस।
अब में कोई अवॉर्ड फंक्शन तो organise नहीं करवा सकता तो सिर्फ स्टार देकर ही काम चला रहा हूँ।
एक स्टार सेफ़ अली खान और यामी गौतम, इन दोनों के जो scenes हैं उनमें सच में कॉमेडी और भूत वाला डर दोनों चीजें महसूस करवाने के लिए।
सेफ़ अली खान की कॉमेडी टाइमिंग एकदम आग की तरह तो यामी गौतम का पोकर फेस मतलब जिसको देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाओगे की ये सही हैं या गलत, इन्होंने फ़िल्म को बचा लिया।
बात करूँ नेगेटिव्ज की तो एक स्टार कटेगा अर्जुन कपूर और जैकलीन फर्नांडिस की इस कदर बेकार एक्टिंग के लिए जो हमें फ़िल्म को ना देखने के लिए बार बार उकसाती रहती हैं।
चलो जैकलीन तो फिर भी आपकी आँखों को अपने ग्लैमर से थोड़ा सुकून तो दे देंगी लेकिन अर्जुन बाबा को एक्टिंग करते देखना जिंदगी का सबसे बड़ा पाप हैं।
और एक स्टार कटेगा थोड़े से एवरेज़ हॉरर कॉन्टेन्ट के लिए और साथ में वो डरावना म्यूजिक जो किसी भी हॉरर फिल्म की रीढ़ की हड्डी की तरह होता हैं वो तो फ़िल्म में हैं ही नहीं और साथ ही VFX से डर कम हँसी ज्यादा आएगी।
तो बॉस Bhoot Police फ़िल्म को देखने का मन बनाया या नहीं? नीचे कॉमेंट करो और बताओ।