देखो फ़िल्में हमेशा दो तरह की बनती हैं एक तो मास, दूसरी क्लास।
मास वाली फिल्मों में आप दिमाग नहीं लगाते सिर्फ दिल से सोचते हो लेकिन क्लास में आप सिर्फ दूसरों की बाते सुनकर अपना opinion देते हो।
अगर उसको पसन्द हैं तो मुझे भी होनी चाहिए वरना में cool कैसे दिखूंगा?
बस इसी दूसरी वाली कैटेगरी में रिलीज हुई हैं फ़िल्म Gehraiyaan, 100 में से 99 लोगों को फ़िल्म एकदम बेकार लगेगी लेकिन ये जो बचा हुआ एक हैं ना वो खुद को smart दिखाने के चक्कर में Sacred Games वाला गुरुजी बनने का नाटक जरूर करेगा।
कहने को तो फ़िल्म का थीम लव, रोमांस, रिलेशनशिप हैं लेकिन हकीकत में ये टीवी पर आने वाले Kamasutra के विज्ञापन से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं।
जब से फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ हैं तब से चारों तरफ़ सिर्फ एक ही बात हो रहीं हैं की दीपिका के बोल्ड scenes कितने बोल्ड हैं? दीपिका और सिद्धान्त के ये scenes कितने adult हैं? या फिर दीपिका के कपड़े कितने छोटे कितने बड़े? बस यहीं सब कुछ।
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फ़िल्म क्या हैं? कैसी हैं? वास्तव में इस टॉपिक में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं हैं दोस्त। उसके बारे में तो शायद अभी तक कोई सवाल भी नहीं पूछा गया होगा।
फ़िल्म Gehraiyaan को सिर्फ इन बोल्ड scenes के ऊपर ही बेचा जा रहा हैं।
फाइनली कल इस फ़िल्म देखा मैंने और यक़ीन मानिए मैंने जैसा इस फ़िल्म के बारे में सोचा था उससे भी कई ज्यादा टेढ़ी मेढ़ी हैं।
Gehraiyaan Movie Review in Hindi
फ़िल्म Gehraiyaan की कहानी तीन दोस्तों की हैं जो बचपन से एक साथ बड़े हुए हैं और काफ़ी लम्बे वक्त के बाद दुबारा एक दूसरे की ज़िंदगी में शामिल हो रहें हैं।
लेकिन इस बार इन तीन के अलावा एक चौथा बन्दा भी हैं जो कहने के लिए तो टिया मैडम का बॉयफ्रेंड हैं लेकिन इस पर दिल आ जाता हैं अलीशा का, ओर तो ओर, लड़के को भी लड़की पसन्द आ गयी हैं जनाब।
तो बस शुरुआत हो जाती हैं अफेयर की और प्यार पर हवस भारी पड़ जाती हैं जिससे बचपन की बरसों पुरानी दोस्ती में धोखेबाज़ी जैसे शब्द की entry हो जाती हैं।
अब ट्विस्ट ये हैं कि ये जो लव ट्राइएंगल हैं टिया, जैन और अलीशा का, इसमें ये तीनों बाहर से जैसे दिखते हैं अंदर से वैसे बिल्कुल भी नहीं हैं।
सब का अपना खतरनाक अतीत हैं, हर किसी का अपना डार्क सीक्रेट जो धीरे धीरे बाहर निकलेगा और फ़िल्म की कहानी इमोशनल से थ्रिलर बन जायेगा।
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देखो बॉस, पहली बात तो ये की फ़िल्म Gehraiyaan में कहानी एकदम बेकार हैं। पूरी फ़िल्म सिर्फ बातों पर ही निर्भर हैं, ऐसे डॉयलोग्स जिनमे से आधे तो आपको समझ ही नहीं आएंगे।
और बाकी आधे अनन्या पांडे की आवाज में सुनकर भी नजरअंदाज कर दोगे, आपके पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होगा।
और हाँ, एंटरटेनमेंट नाम का जो शब्द हैं उससे इस फ़िल्म का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है।
फ़िल्म Gehraiyaan इतने धीरे धीरे चलती हैं की 40-50 मिनट के बाद इसको पूरा देखने की हिम्मत करना अपने आप में एक चैलेंज होगा।
इन्हीं डायरेक्टर साहब की एक फ़िल्म कपूर एंड सन्स को देखने में कितना मजा आया था और कहानी भी काफ़ी अपनी अपनी सी लग रहीं थी, एकदम relatable और वास्तविक।
फैमिली प्रॉब्लम से लेकर रोमांटिक लव ट्राइएंगल, हर एक चीज़ काफ़ी बढ़िया थी।
क्यों हुआ? कैसे हुआ? सब कुछ समझ आ गया था।
यहाँ Gehraiyaan में मामला उसका ठीक उल्टा हैं। जो भी स्क्रीन पर होता हैं वो प्रॉब्लम्स खुद बनाई गई हैं, ये ना तो genuine हैं और ना ही ऐसी जिन पर भरोसा किया जा सकें।
स्पेशली फिल्म के एंड का जो ट्विस्ट हैं जिसको लोग Gehraiyaan का एक्स फ़ेक्टर समझ रहें हैं, वो तो बिल्कुल भी भरोसा करने लायक नहीं हैं।
सिर्फ नकली बनावटी बातें हैं जिसको maturity और emotional education का मास्क बनाकर cool बताकर बेचा जा रहा हैं।
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हकीकत में हम सिर्फ मजाक बन रहें हैं और वो भी पूरे ढाई घण्टे।
हाँ, दीपिका और सिद्धान्त की केमिस्ट्री कमाल की हैं बॉस, दिल दिमाग का तो पता नहीं लेकिन ये लोग अपने बोल्ड और maturity वाले scenes से आँखों को काफ़ी व्यस्त रखते हैं।
और फिर बैकग्राउंड में थोड़ा हटके ऑफबीट म्यूजिक सच में कमाल का हैं।
फ़िल्म Gehraiyaan का अल्बम भविष्य में क्लासिक बनेगा, इस बात में कोई शक नहीं हैं मुझे।
बाकी अनन्या पांडे का किस्सा तो आप जानते ही हो, इनकी जो डिक्शनरी हैं उसमें 26 की जगह सिर्फ 24 लेटर्स ही हैं शायद।
A वाली एक्टिंग और E वाले expressions दोनों बिल्कुल गायब हैं बॉस इनकी डिक्शनरी से।
हालांकि जब फ़िल्म के प्रोड्यूसर करन जोहर हैं जो फिर टेंशन किस बात की होगी इनको? सिर्फ बेचारी audience को ही 2 घण्टे खून के आँसू रोना पड़ेगा।
तो भईया मुद्दे की बात ये हैं कि दूसरों की बातों में बिल्कुल नहीं पड़ना हैं, Gehraiyaan ना तो cool हैं और ना ही mature, सिर्फ पानी दिखाने से कहानी गहरी नहीं हो जाएगी।
रेटिंग
मेरी तरफ से फ़िल्म Gehraiyaan को 5 में से 1 स्टार्स, वो भी कुछ नया ओरिजनल म्यूजिक के लिए, साथ ही दीपिका और सिद्धान्त की जबरदस्त केमिस्ट्री के लिए।
बाकी नेगेटिव्ज में एक स्टार कटेगा कहानी के लिए जो फ़िल्म में हैं ही नहीं।
दूसरा स्टार बिना सिर पैर वाले डॉयलोग्स के लिए जो फ़िल्म देखने के बाद बिल्कुल भी याद नहीं रहेंगे।
तीसरा स्टार अनन्या पांडे की एवरेज़ से भी बेकार एक्टिंग और इनको फ़िल्म Gehraiyaan में लेने वाले लोगों के लिए जबकि चौथा स्टार कटेगा शकुन बत्रा के डायरेक्शन के लिए जिसनें मुझे सबसे ज्यादा disappoint किया।
अब आप लोग भी कुछ बोल दो नीचे कॉमेंट्स में। क्या आपने फ़िल्म Gehraiyaan को देखा? और अगर देखा तो क्या अंत तक देख पाए?
अपना Gehraiyaan review बताओ फ़टाफ़ट।