आपने अक्सर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हो रहीं ज़्यादती की खबरें अखबारों में जरूर पढ़ी होगी।
क्या आपने कभी सोचा हैं कि इन लोगों पर कितना जुर्म किया जाता होगा?
अगर नहीं सोचा तो आज में जिस फ़िल्म का रिव्यू करने जा रहा हूँ उसे देखने के बाद जरूर सोचोगे।
अमेज़ॉन प्राइम पर 2 नवम्बर 2021 को एक तमिल फ़िल्म रिलीज़ हुई थी – जय भीम।
एक ऐसी फ़िल्म जो सच्ची घटना के ऊपर आधारित हैं जिसमें हमें आदिवासियों पर हो रहें जुर्म के बारे में देखने को मिलेगा।
इस फ़िल्म में साउथ सुपरस्टार सूर्या वक़ील चन्द्रू का कैरेक्टर प्ले कर रहें हैं।
वहीं मणिकण्डन ने राजाकन्नू के कैरेक्टर को प्ले किया हैं जबकि लीजोमोल जोस ने सेंगेनी का।
इसके अलावा राजिशा विजयन ने मैथ्रा का, प्रकाश राज ने आईजी पेरुमलसामी का और राओ रमेश ने एडवोकेट जनरल राम मोहन का कैरेक्टर प्ले किया हैं।
जय भीम रिव्यू में आगे बढ़ने से पहले में बता दूँ की इस फ़िल्म को IMDB पर 9.4 रेटिंग मिली हैं जो अब तक कि सबसे अधिक रेटिंग हैं किसी भी भारतीय फ़िल्म की।
Jai Bhim Movie Review in Hindi
Jai Bhim Movie Story (स्टोरी)
फ़िल्म की कहानी शुरू होती हैं कुछ आदिवासी लोगों के साथ जिन्हें पुलिस जबरदस्ती पकड़कर उनके जाती के आधार पर बाँट रहीं होती हैं।
ये आदिवासी गाँव में साँप चूहें पकड़कर अपना जीवन बसर करतें हैं।
इस फ़िल्म के पहले सीन को देखकर ही आप इसे समझ जाओगे की फ़िल्म को बनाने के पीछे क्या वजह रहीं हैं?
एक दिन एक गाँव के सरपंच के घर में एक साँप घुस जाता हैं तो राजाकन्नू साँप पकड़ने सरपंच के घर जाता हैं।
अब राजाकन्नू की बदकिस्मती ये थी कि साँप जिस कमरे में घुसा था उसमें गहने जेवरात भी रखे हुए थे।
राजाकन्नू साँप पकड़कर जंगल में छोड़ देता हैं और वापस अपनी बीवी के पास चला जाता हैं।
उसकी बीवी उस वक्त प्रेंग्नेंट थी और राजाकन्नू अब साँप चूहें पकड़ना बन्द करके पैसे कमाने, घर से दूर एक ईंटे बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने चला जाता हैं।
उसी दिन सरपंच के घर में चोरी हो जाती हैं और उसके सारे गहने गायब हो जाते हैं।
जब पुलिस उनसे पूछती हैं कि उन्हें किसी पर शक तो नहीं, तो वे राजाकन्नू का नाम लेते हैं।
असली फ़िल्म की कहानी यहीं से शुरू होती हैं और हमें दिखाया जाता हैं कि किस तरह पुलिस उसकी प्रेग्नेंट बीवी को मारते हुए पुलिश स्टेशन ले जाती हैं।
किसी तरह राजाकन्नू को भी पुलिस गिरफ्तार कर लेती हैं और उस पर काफ़ी ज्यादा जुर्म किया जाता हैं।
फिर एक दिन पुलिस राजाकन्नू की बीवी यानी सेंगेनी के पास आकर कहते हैं कि उसका पति पुलिस स्टेशन से फ़रार हो गया।
इस बात को सेंगेनी मानने से इनकार कर देती हैं और मैथ्रा जो कि एक टीचर हैं, के साथ मिलकर एक वक़ील के पास जाती हैं – एडवोकेट चन्द्रू।
और यहीं से शुरू होती हैं चन्द्रू और पुलिस के बीच जंग।
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पुलिस जहाँ ये साबित करने में जुटी हैं कि राजाकन्नू पुलिस स्टेशन से भाग गया वहीं चन्द्रू पुलिस को दोषी ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
फ़िल्म के पहले हाफ़ में जिस तरह राजाकन्नू और उसके रिश्तेदारों पर जुर्म किए जाते हैं उन्हें देखकर आपकी आँखों मे आँसू आना तय हैं।
इस फ़िल्म का दूसरा हाफ़ कोर्ट रूम ड्रामा हैं जहाँ हमें वक़ील, जज, गवाह और सबूतों के सीन देखने को मिलते हैं।
फ़िल्म का डायरेक्शन इतना शानदार किया गया हैं जो हमें हर एक सीन में अपना दिमाग लगाने के लिए मजबूर करता हैं।
आप एक पल के लिए भी अपने दिमाग को आराम नहीं दे सकतें।
किस तरह एक वक़ील अपने मुवक्किल को निर्दोष साबित करने की कोशिशें करता हैं?
किस तरह एक एक करके सबूतों को ढूँढा जाता हैं? जय भीम में दूसरे हाफ़ में हमें यहीं सब देखने को मिलेगा।
फ़िल्म 151 मिनट की हैं जो लम्बी तो हैं लेकिन आप एक पल के लिए भी बोर नहीं होंगे, बल्कि कब फ़िल्म का क्लाइमेक्स आ गया – आपको पता भी नहीं चलेगा।
अब जब क्लाइमेक्स की बात हो रहीं हैं तो इस फ़िल्म का क्लाइमेक्स जरूर संतुष्टि देता हैं लेकिन वो हैप्पी एंडिंग होगी या नहीं ये आपको पता लगाना होगा।
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राजाकन्नू के साथ क्या हुआ? सेंगेनी को इंसाफ़ मिला या नहीं? ये सब आप जय भीम को देखकर पता कर सकतें हैं।
जय भीम आपको अमेज़ॉन प्राइम पर मिल जाएगी।
Jai Bhim Movie Review: एक्टिंग और परफॉर्मेंस
आप इस फ़िल्म को देखकर यहीं कहोगे की ये फ़िल्म नहीं हकीकत हैं।
मतलब हर एक एक्टर ने जिस तरह की परफॉर्मेंस दी हैं वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं।
स्पेशली मणिकण्डन ने जिस तरह की परफॉर्मेंस दी, उन्होंने जो पुलिस के जुर्म सहे, उन्हें देखकर ऐसा लगा मानों हम हकीकत को अपनी आँखों से देख रहें हो।
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साथ ही, लीजोमोल जोस ने जिस तरह एक प्रेग्नेंट औरत का कैरेक्टर प्ले किया, उन्होंने सच में फ़िल्म में जान डाल दी।
पुलिस के कैरेक्टर्स प्ले करने वाले सभी कलाकारों ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी, फ़िल्म को देखने के बाद आप निश्चित रूप से पुलिस से नफ़रत करने लगोगे और ये दर्शाता हैं कि उन्होंने कितनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दी हैं?
इस पूरी फिल्म के किसी भी कलाकार ने अपनी एक्टिंग में कोई भी कमी नहीं होने दी और यहीं इस फ़िल्म को इतना स्पेशल बनाता हैं।
Jai Bhim Movie Review: दिल की बात
जय भीम को देखने से पहले जब मैंने उन फिल्मों की लिस्ट बनाई थी जिन्हें IMDB पर सबसे ज्यादा रेटिंग मिली थी, मुझे तब से ही इसे देखने का बेहद मन था।
क्योंकि जय भीम को 10 में से 9.4 रेटिंग मिली थी और ये उस लिस्ट में पहले नम्बर पर थी।
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इस फ़िल्म को देखने के बाद मुझे ना सिर्फ ये पता चला कि इसे इतना पसन्द क्यों किया गया हैं बल्कि ये भी पता चला कि क्यों साउथ की फिल्मों के आगे बॉलीवुड पानी भरता हैं?
इतनी लंबी फ़िल्म होने के बावजूद ये आपको एक पल के लिए भी बोर नहीं करती जो दिखाता हैं की अगर कहानी को बेहतरीन लिखा जाए और डायरेक्शन में कोई कमी ना छोड़ी जाए तो लम्बी फ़िल्म भी किसी ट्रैलर जितनी छोटी लग सकती हैं।
Jai Bhim Movie Review: रेटिंग
तो यार मेरी तरफ से जय भीम को मिलेंगे 5 में से 4 स्टार्स।
एक स्टार शानदार कहानी के लिए, किस तरह केस को सुलझाया गया और फ़िल्म को ख़त्म किया गया, वाकई शानदार था।
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दूसरा स्टार फ़िल्म को स्पेशल बनाने वाली परफॉर्मेंस के लिए जिसनें सभी के दिलों में जगह बना ली।
तीसरा स्टार फ़िल्म के डायरेक्टर T. J. Gnanavel के लिए जिन्होंने इसे इतना शानदार डायरेक्ट किया कि 151 मिनट की फ़िल्म भी छोटी लगने लगी।
और चौथा स्टार उन इमोशन्स के लिए जो ये फ़िल्म हम सब में भर देती हैं। पूरी फ़िल्म को आप आँसू से भरी आँखों से देखने वाले हो, एकदम जबरदस्त।
वहीं अगर नेगेटिव्ज की बात करूँ तो एक स्टार कटेगा कोर्ट रूम ड्रामा को थोड़ा कमजोर रखने के लिए।
यहाँ हमें कम फैक्ट्स देखने को मिले जो जॉली एल एल बी जैसी मूवीज़ में हमें देखने को मिलता हैं और ना ही वकीलों के बीच बहस को महत्व दिया गया जो मुझे लगता हैं थोड़ा कमजोर पॉइंट था, फ़िल्म के लिए।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो जातिवाद का विरोध करते हैं तो ये फ़िल्म जरूर देखनी चाहिए।
बाकी में मिलता हूँ आपसे अगले मूवी रिव्यू में, तब तक के लिए – जय भीम!
बहुत ही शानदार फिल्म
जी हाँ…!