Madhagaja Review in Hindi: एक मास एंटरटेनर

अगर आज की तारीख़ में कोई आके आपसे ये कहे कि ओटीटी भविष्य हैं, तो आप उसका यक़ीन ना चाहते हुए भी करेंगे।

पिछले कुछ वक्त में हमने देखा, जब से कोविड के रूल्स और रेगुलेशन्स में नरमी आई, मूवीज़ एकदम धडल्ले से रिलीज़ होने लगी।

मतलब इतनी बड़ी बड़ी मूवीज़ इतने कम अन्तराल में रिलीज़ हो रहीं थी, समझ नहीं आ रहा था कि ये मूवीज़ चलेंगी भी या नहीं।

लेकिन हाँ, जिन मूवीज़ का कॉन्टेंट बढ़िया था उन्होंने अच्छा परफॉर्म किया और जो पैसे छापने के इरादे से बनी, बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी, 83 फ़िल्म के केस में हमनें ये देखा और समझा भी।

लेकिन अब एक बार फिर से कोविड ने अपनी करवट बदली और अपने बेहरुपीये के रूप में फिर से दस्तक देना शुरू कर दिया हैं।

कोरोना के केस फिर से बढ़ना शुरू हो गए हैं और हम ये देख सकतें हैं की किस तरह फिर से पाबन्दियाँ लगना शुरू हो चुकी हैं।

ये चीजें दिल्ली से शुरू हुई और अब आलम ये हैं कि कई बड़ी बड़ी फ़िल्में, जो रिलीज़ होने के कगार पर खड़ी थी, उनकी रिलीज़ डेट को आगे खिसका दिया गया हैं, जिनमें राधे श्याम, जर्सी, आरआरआर जैसी बड़ी फ़िल्में हैं।

लेकिन वहीं अगर बात करें ओटीटी की, तो ये ऐसा ही रहने वाला हैं और यहाँ अच्छी अच्छी मूवीज़ आसानी से देखने को मिल जाएंगी, बिना किसी रोकटोक के, बशर्ते आपने उनका सब्सक्रिप्शन ले रखा हो।

ऐसी ही साउथ की एक ओर मूवी अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ हुई हैं जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हैं।

Madhagaja Movie Review in Hindi

Madhagaja Movie Hindi Review: स्टोरी

अधिकतर कन्नड़ फ़िल्में जो होती हैं वो मसाले से भरी हुई होती हैं, एकदम मास एंटरटेनर की श्रेणी में आती हैं।

काफ़ी समय से यहीं चलता आ रहा हैं इसलिए अक्सर अच्छी कहानियाँ देखने को नहीं मिलती।

लेकिन हाल ही में ओटीटी पर रिलीज़ हुई Madhagaja, बढ़िया मसाला फ़िल्म होने के साथ साथ काफ़ी विश्वसनीयता से भरी हैं।

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कभी कभी बुद्धिमान फ़िल्मों से राहत पाने के लिए इस तरह की फ़िल्में देख लेनी चाहिये, इसमें भी अलग किस्म का आनंद हैं।

देखिए, क्योंकि जंगल में जंगली हाथी की तरह जो कि मस्ताना हाथी भी कहलाता हैं, उस तरह ये मूवी भी आपको कुछ वैसी ही लगेगी।

Madhagaja मूवी की स्टोरी एक फॉर्मूले की तरह हैं। गाँव का जो लीडर हैं वो एक अच्छा आदमी हैं भैरव, और अपने गाँव वालों के लिए वो हमेशा हक की आवाज़ उठाता हैं।

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वहीं दूसरे गांव का लीडर एक गुंडा हैं जो हमेशा जमीन हड़पने, पानी रोकने, मारपीट करने का काम करता हैं।

इन दोनों लीडर्स में खूनी लड़ाई चलती रहती हैं और इन सबसे परेशान भैरव की पत्नी अपने बेटे को इन सबसे दूर रखना चाहती हैं, और इसी के चलते वो उसे एक फ़क़ीर के हवाले कर देती हैं।

ये फ़कीर उसे अपने साथ बनारस ले जाता हैं जहाँ उसकी परवरिश करता हैं और साल में एक बार भिक्षा मांगने के बहाने उस गांव में जाता हैं और उसकी माँ को उसकी पूरी रिपोर्ट देता हैं।

भैरव का बेटा बड़ा होकर सूर्या मधगजा बनता हैं और बनारस में ऐसी प्रोपर्टीज जो विवादों में हैं, किसी ने कब्जा कर रखा हैं, उन्हें बेचने और खरीदने का काम करता हैं।

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किस्मत उसे अपने गाँव लेके जाती हैं और धीरे धीरे उसे अपने बीते कल की बातें पता चलने लगती हैं।

और फिर सूर्या अपने पिता की ओर से लड़ता हैं और गुंडों का खात्मा करता हैं और गांव वालों को उनका हक दिलाता हैं।

अब फ़िल्म में इतनी लड़ाई और टेंशन के माहौल के बीच रोमांस होना भी जरूरी हैं, तो इसी बीच उसे एक लड़की से प्यार हो जाता हैं।

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फ़िल्म की कहानी एकदम कसी हुई हैं, अगर गानों को छोड़ दिया जाए तो फ़िल्म बिल्कुल सीधी चलती रहती हैं।

अधिकाँश कन्नड़ फ़िल्मों की तरह इस फ़िल्म में भी स्टंट्स के सीन्स में ग्रेविटी का मज़ाक भरपुर उड़ाया हैं, हालाँकि इसकी अपेक्षा करना बिल्कुल भी गलत नहीं हैं।

निर्देशक महेश कुमार की ये दूसरी फिल्म हैं और उन्होंने अच्छा काम किया हैं।

किरदारों पर दर्शक भरोसा कर लें तो डायरेक्टर का काम काफ़ी आसान हो जाता हैं।

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ऐसी कहानी जिसमें नया तो कुछ भी नहीं हैं लेकिन फिर भी कलाकारों से ऐसा काम करवा लेना, जिससे वो अजीब ना लगे, ये अपने आप में एक कठिन काम होता हैं।

महेश कुमार ने फ़िल्म में हर कैरेक्टर को जस्टिफाई करने की कोशिश की हैं।

Madhagaja Movie Hindi Review: एक्टिंग और परफॉर्मेंस

इस फ़िल्म की कहानी में मुख्य कलाकार के रूप में श्री मुरली हैं जिन्होंने एक टिपिकल मसाला फ़िल्म के हीरो की तरह जबरदस्त एक्शन किया हैं।

एक काल्पनिक गांव से वाराणसी के डॉम और फिर उन्हीं अस्सी घाटों से गुजरते हुए अपनी जड़ों तक लौटने की हीरो की कहानी में श्री मुरली ने अच्छा काम किया हैं।

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जगपती बाबू अक्सर विलेन बनते हैं लेकिन इस बार उनका किरदार काफ़ी बेहतर हैं और अपने अनुभव के मद्देनजर उन्होंने इसमें काफ़ी मेहनत भी की हैं।

जगपथी बाबू के किरदार को थोड़ा अलग रखा गया हैं। सूर्या की माँ के रूप में देवयानी ने भी काफी संयम से परफॉर्म किया हैं।

फ़िल्म में फालतू के डायलॉग, मसालेदार गाने, अजीब एक्शन्स सीन्स से बचा गया हैं।

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लव स्टोरी में भी बस एक आध ही गाने हैं। फ़िल्म का म्यूजिक अच्छा हैं जिस पर गौर किया जा सकता हैं।

फ़िल्म के दो तीन मुख्य आकर्षण हैं। एक हैं फ़िल्म का रनिंग टाइम, जो सिर्फ 2 घण्टे 10 मिनट हैं, जिस वजह से देखने में मजा आता हैं।

दूसरा, श्री मुरली और आशिका की जोड़ी तो अच्छी हैं ही, साथ में जगपथी बाबू और देवयानी ने भी कुछ सीन्स में दर्शकों को प्रभावित किया हैं।

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और सबसे अच्छी बात फ़िल्म का बेकग्राउंड स्कोर मसाला फ़िल्म देखने के शौकीनों के एकदम मुफ़ीद नजर आता हैं।

तो कुल मिलाकर बात ये हैं कि अगर आप घर पर खाली बैठे हैं और इस मूवी को एन्जॉय करना चाहते हैं तो आप जरूर करें।

क्योंकि देखिए, अब थिएटर तो धीरे धीरे बन्द हो ही रहें हैं और अगर आपके शहर में खुले भी हैं तो वहाँ जाने से बचे क्योंकि कोरोना की करवट फिर से बदल रहीं हैं।

खुद भी सुरक्षित रहें, परिवार को भी सुरक्षित रखें।

इस फ़िल्म को में कोई रेटिंग नहीं दूँगा, अगर आप इसे रेटिंग देना चाहते हैं तो नीचे कॉमेंट्स में बताएं कि Madhagaja को 5 में से आप कितने स्टार्स देना चाहेंगे?

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