एक मशहूर सवाल हैं, जिसका जवाब हमनें बचपन में खूब ढूँढा हैं – तीतर के आगे दो तीतर, तीतर के पीछे दो तीतर, तीतर के दाएं दो तीतर, तीतर के बाएं दो तीतर, तो बोलो कुल कितने तीतर?
अब इसका नया वर्जन सुनो एकदम बॉलीवुड स्टाइल में – जॉन के आगे दो जॉन, जॉन के पीछे दो जॉन, जॉन के दाएं दो जॉन, जॉन के बाएं दो जॉन, तो बोलो कुल कितने जॉन?
घबराइए मत, में पागल नहीं हुआ, जो आज मैंने देखा उसके बाद मुहँ से बस यहीं सब निकल रहा हैं।
और इस रिव्यू के सहारे बदला लेने को मेरी आत्मा मचल रहीं हैं।
हाँ तो भईया, जो फ़िल्मी बातचीत को फ़ॉलो करते हैं उन्हें पता होगा की फ़िल्म को रेटिंग एकदम आख़िरी में मिलती हैं।
लेकिन आज की फ़िल्म स्पेशल हैं और इसको सितारे देने के लिए में तड़प रहा हूँ – 5 में से (-5) स्टार्स।
अगर आपकी ज़िंदगी में कोई ऐसा रिश्तेदार हैं जो आपकी एग्जाम के रिजल्ट को लेकर या फ़िर आपके गले में शादी का हार डलवाने को आपके दिमाग का झोपड़ा करते हैं।
तो बस मेरे दोस्त, इस फ़िल्म का टिकट उन्हें गिफ्ट कर दो, अगले दिन वो खुद वापस नहीं आएंगे, वापस आएगी तो सिर्फ उनकी ख़बर, वो भी शहर के न्यूज़ पेपर में।
सत्यमेव जयते 2, जिसकी टैग लाइन हैं – तन, मन, धन से पहले जन, गन, मन।
इसमें चौथी चीज ओर जोड़ लो गन, बंदूक – जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी इस फ़िल्म को देखने के बाद।
एक होती हैं मौत, फिर खुदकुशी और उसके बाद आती हैं ये फ़िल्म।
ये वो बीमारी हैं जिससे आपकी रक्षा हनुमान जी की संजीवनी बूटी भी नहीं कर सकती।
इस फ़िल्म को आप अमेज़ॉन प्राइम पर आसानी से देख सकतें हैं।
तो चलिए, अब थोड़ा सिर फोड़ा जाए और आपको बताया जाए कि जॉन अब्राहम की सत्यमेव जयते 2 को देखने के बाद मुझे कैसा महसूस हुआ?
Satyameva Jayate 2 Movie Review in Hindi
स्टोरी
Satyameva Jayate 2 फ़िल्म की कहानी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंग की हैं। एक नेताजी जी-जान लगाके देश की भलाई में जुटे हुए हैं।
लेकिन रास्ते मे बेईमान लालची लोग टांग अड़ाके जनता का पैसा लूट जाते हैं, और बदले में सिर्फ धोखा मिलता हैं।
तब अचानक फ़िल्म का माहौल बदल जाता हैं, क्योंकि चलता फिरता यमराज स्वयं प्रकट होकर इन सभी चोर मक्कारों को सीधा नर्क का टिकट फ्री में बाँटने लगता हैं।
लेकिन कानून के हाथ भी तो लम्बे होते हैं, इसीलिए मिस्टर यमराज को पकड़ने एक चालाक बहादुर पुलिस ऑफ़िसर की शहर में एंट्री होती हैं।
जो मासूम लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकतें हैं, फिर चाहें वो खुद कानून क्यों ना तोड़ दें।
अब ट्विस्ट ये हैं कि पुलिस, नेताजी और यमराज, ये आपस में रिश्तेदार हैं। हाँ जी, एकदम भाई-भाई वाला रिश्ता हैं तीनों के बीच में।
और ये यमराज वाले गेटअप में नेताजी हैं या पुलिस भईया, यही हैं फ़िल्म का असली सस्पेंस।
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देखो बॉस, फ़िल्म कैसी हैं, ये तभी पता चल गया था जब यूट्यूब पर इसका ट्रेलर रिलीज़ हुआ था।
लेकिन अब थिएटर में दो घण्टे बिताने के बाद मेरे दिल में एवेंजर्स वाले थेनॉस भईया के लिए इज्जत सौ गुना बढ़ गयी हैं।
सच में ख़तम कर देना चाहिए ऐसी दुनियाँ को जहाँ ये सब देखना पड़ता हैं।
मतलब राईटिंग का लेवल कितना घटिया हैं की फ़िल्म का हीरो एक गुंडे को मारते वक्त अपने मुहँ से ये डॉयलोग बोलता हैं – “आज के बाद तू पीछे से मूतेगा की तेरा आगे वाला टूटेगा”।
सिर्फ इतना ही नहीं, पूरे ढाई घण्टे ऐसे सौ दो सौ डॉयलोग्स एक के बाद एक सुनाई देते हैं जिनके बाद कानों से खून बहने लगता हैं।
मेरी बात मानो तो टिकट बुक करने से पहले लाइफ इंस्योरेन्स जरूर करवा लेना, जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी।
फ़िल्म का मकसद सिर्फ एक हैं – देशभक्ति और हिन्दू-मुसलमान के नाम पर लोगों का चू**या काटना।
माफ़ कीजिएगा, ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहा हूँ लेकिन दिल की बात बताऊँ – मुहँ से गन्दी गन्दी गालियाँ निकालने का मन कर रहा हैं।
हर सीन में कुरान से लेकर तिरंगा उठाना, वो भी बिना किसी मतलब के।
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फ़िल्म का मिशन सफ़ल जरूर होगा, हिन्दू मुसलमान, सत्यमेव जयते 2 देखने के बाद पक्का साथ आएंगे और दोनों मिलकर इस फ़िल्म को 5 में से जीरो स्टार्स देंगे।
सच में यार, जॉन ने फ़िल्म में इतने सारे कैरेक्टर्स प्ले किये हैं ना, मानों या मानों सत्यमेव जयते 3 में ये बन्दा नोरा फतेही का मास्क पहनकर आइटम सॉन्ग भी कर सकता हैं।
सबसे बेस्ट पता हैं क्या होता? अगर जॉन खुद थिएटर्स में ऑडिएंस का रोल भी प्ले कर देते, तो मेरी तरफ से फ़िल्म को पूरे पांच में पांच स्टार्स गिफ्ट में मिलते।
और अब बारी हैं उनकी, जिनके लिए इस फ़िल्म को बनाया गया हैं, भाभीजी।
मतलब पैसा हो तो इंसान क्या क्या नहीं कर सकता?
बचपन की स्लैम बुक में लिखा हुआ हीरोइन बनने का सपना काफ़ी दिल पे ले लिया इन्होंने।
एक्टिंग गई तेल लेने, मैडम को तो बस डॉयलोग्स बोलने से मतलब हैं।
इनके चेहरे पे साला खुशी हैं या गम, वो पता करने के लिए आपको केबीसी का चार विकल्पों वाला गेम खेलना पड़ेगा।
शायद लाइफ लाइन भी लेनी पड़ी जाए, सही जवाब के लिए।
देखों बॉस, कहानी ज़ीरो, राईटिंग डबल ज़ीरो, एक्टिंग ट्रिपल जीरो और डायरेक्शन में इतने ज़ीरो हैं कि बेचारे आर्यभट्ट भी घबरा जाएंगे की ये क्या आविष्कार हो गया मुझसे?
मतलब इतना बिना सिर पैर का डायरेक्शन करने के लिए भी टैलेंट चाहिए होता हैं।
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एक हीरो अलग अलग उम्र के अलग अलग कैरेक्टर्स प्ले कर रहा हैं लेकिन उसकी आवाज़ और बॉडी लैंग्वेज कुछ नहीं बदलता।
देखो दोस्त, सत्यमेव जयते एक मामूली फ़िल्म नहीं हैं, ये वो हथियार हैं जिसका इस्तेमाल हमारे देश को ख़तरों से बचाने के लिए किया जा सकता हैं।
पूछो कैसे?
बॉर्डर पर इस फ़िल्म का पहला हाफ़ चला देना, उसके बाद चीन हो या पाकिस्तान, दुश्मन का पेंट आगे से गीला और पीछे से पीला ना हो जाए तो कहना।
अब देखो मजाक एक तरफ लेकिन सच में, क्या था ये?
हम सिनेमा के नाम पर कुछ भी देख लेंगे क्या? बॉलीवुड के कुछ बड़े नामों ने इतना बेफकूफ समझ रखा हैं ऑडिएंस को, की देशभक्ति का लॉलीपॉप पकड़ाकर लूट मचाने पर तुले हुए हैं।
शर्म बाक़ी हैं या नहीं, पैसा हैं तो गरीबों के लिए कुछ करो, कम से कम दुआ तो आएगी।
और वो लोग जो फ़िल्म की झूठी तारीफें करने में व्यस्त हैं, माना आजकल पेटीएम पर पैसा फ़टाफ़ट मिल जाता हैं, लेकिन ऊपर वाला भी तो सब कुछ देख रहा हैं।
आप लोगों के लिए नर्क में बुकिंग अलग से चालू हो गयी हैं, वहाँ गरमागरम तेल में आपसे कुसु-कुसु करवाया जाएगा।
तो यार मेरी बात मानो, अपना दिमागी संतुलन बचाके रखना और इस फ़िल्म से जितना दूर जा सकतें हो उतना दूर चले जाओ, आज और अभी।
देखो यार, जॉन पसन्द तो मुझे भी हैं लेकिन में फ़िल्मी बातचीत पर एकदम ईमानदारी से रिव्यू करता हूँ, बिना किसी तरह का भेदभाव किए।
रेटिंग
हाँ तो फ़िल्म को 5 में से माईनस 5 स्टार्स। एक स्टार कटेगा फ़िल्म के एकदम घटिया डॉयलोग्स के लिए।
दूसरा स्टार एक्टिंग के नाम पर जो कार्टून नेटवर्क की दुकान खोली गई उसके लिए।
तीसरा स्टार बिना सिर पैर वाली कहानी के लिए और चौथा स्टार बहुत ही अजीबोगरीब डायरेक्शन के लिए।
और आख़िरी पाँचवा स्टार मेरी ज़िंदगी के कीमती 3 घण्टे बर्बाद करने के लिए, अब थिएटर आने जाने में भी तो टाइम लगा ना।