State of Siege Temple Attack Movie Review in Hindi: अक्षरधाम मंदिर पर हमले की वास्तविक कहानी

State of Siege Temple Attack, हाल ही रिलीज़ हुई एक फ़िल्म हैं, लेकिन ये सिर्फ एक फ़िल्म नहीं हैं बल्कि यह एक डरावना और दिल को पैरालाइज करने वाला खौफनाक अनुभव हैं।

और फिर डर सौ गुना ये सोचकर बढ़ जाता हैं कि यह फ़िल्म वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं।

कभी कभी बड़ी चीज़ों के पीछे भागने के चक्कर में हम लोग अक्सर छोटी चीज़ों को नजरअंदाज कर देते हैं।

जैसे कि एक सांस बाहर छोड़कर हम लोग दूसरी सांस जब अंदर लेते हैं वो कितना मामूली और आसान लगता हैं।

लेकिन एक बार सोचकर देखों की एक से दूसरी सांस मिलने की गारंटी ना हो तो, सुनकर ही डर लगता हैं लेकिन आज उसके बीच में पूरे 2 घण्टे बिताने हैं आपको।

एक तरफ मौत तो दूसरी तरफ़ जिंदगी लेकिन सबसे भयंकर बात ये की आपकी किस्मत का फैसला कोई दूसरा करेगा।

इस फ़िल्म को 9 जुलाई 2021 के दिन ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर रिलीज़ किया गया था और आज में इसी का रिव्यू करने वाला हूँ।

State of Siege: Temple Attack Movie Review in Hindi

State of Siege: Temple Attack Cast (स्टार कास्ट)

  • अक्षय खन्ना – मेजर हनूत सिंह (एनएसजी ऑफ़िसर)
  • गौतम रोड़े – मेजर समर (एनएसजी ऑफ़िसर)
  • विवेक दहिया – कैप्टन रोहित बग्गा (एमएसजी ऑफ़िसर)
  • अक्षय ओबेरॉय – कैप्टन बिबेक (कैमियो)
  • परवीन डाबस – कर्नल नागर (एनएसजी ऑफ़िसर)
  • समीर सोनी – गुजरात सीएम चौकसी
  • अभिमन्यु सिंह – अबु हमजा
  • मीर सरवार – बिलाल नाइकू
  • मन्जारी फड़नीस – सलोनी
  • चंदन रॉय – मोहसिन

State of Siege: Temple Attack Details (जानकारी)

  • डायरेक्टर – केन घोष
  • राईटर – विलियम ब्रोथविक, साइमन फैंटाज़ो
  • आधारित – अक्षरधाम मंदिर हमला
  • प्रोड्यूसर – अभिमन्यु सिंह
  • सिनेमेटोग्राफी – तेजल शेट्टी
  • रिलीज़ डेट – 9 जुलाई 2021
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म – Zee5
  • रनिंग टाइम – 110 मिनट

State of Siege: Temple Attack Story (कहानी)

फ़िल्म State of Siege Temple Attack की कहानी गुजरात के एक मशहूर मंदिर से शुरू होती हैं जहाँ पर पूरी दुनियाँ से लोग खींचे चले आते है।

कुछ पूजा आस्था के लिए तो कुछ सिर्फ आंखों को सुकून देने वाली मंदिर की यूनीक डिज़ाइन देखने लेकिन इस बार बॉर्डर के उस पार से मंदिर को वर्ल्ड फ़ेमस बनाने का मास्टरप्लान तैयार हुआ हैं।

कुछ सनकी पागल लोगों ने मंदिर में घुसकर खून खराबा करने का सपना देखा हैं, ऐसी हेडलाइन्स बनेंगी टीवी और अखबारों में जो पूरी दुनियाँ का भविष्य बदलकर रख दे।

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इसे भारत की साख को मिट्टी में मिलाने का एक शॉर्टकट समझ लो।

इन सबका जो लीडर हैं उसके शब्द हैं कि पुरानी आग बुझने ना पाए उससे पहले नई जला दो, या फिर यूँ कहें कि नफ़रत फैलाने में चैम्पियन हैं ये आदमी।

कुछ जरूरतमंद या अनपढ़ लोगों को पकडकर उनको चलता फिरता सुसाइड बम बनाना इसका टैलेंट हैं।

अब होता वहीं हैं जिसका सबसे ज्यादा डर था, मंदिर में चार दिमाग से पैदल और दूसरों के दिखाए गए ख़तरनाक रास्ते पर चलने वाले आतंकवादी घुस गए हैं।

अब यहाँ से State of Siege Temple Attack फ़िल्म में शुरुआत होती हैं अजीबोगरीब खेल की, मंदिर में बन्दूकों के सामने करीब 50-60 बेगुनाह लोग बैठे हैं। बॉर्डर के उस पार से शर्त आई हैं कि जेल में बंद इनके दूसरे साथी को आजाद कर दिया जाए वरना मंदिर के अंदर से हर आधे घण्टे में एक लाश बाहर निकलेगी।

चलो बुरी बातें काफ़ी हो गयी, अब फटाफट मिलवाता हूँ आपको मेजर हनूत सिंह से जो एनएसजी यानी उस स्पेशल फोर्स का हिस्सा हैं जिसकी जिम्मेदारी हैं देश को आने वाले किसी भी ख़तरे से बचाना।

बन्दा एक इशारा पाते ही सीधा गुजरात पहुँच गया हैं, यहाँ इनका मिशन एकदम आसान हैं जान लेने वाले जानवरों के ख़िलाफ़ खड़े होकर खुद भगवान बनकर लोगों को नई जिंदगी देना जो फिलहाल बंदूक की नोंक पर हैं।

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लेकिन हनूत सिंह जितना देश को सच्चा प्यार करते हैं उतना ही उलझन में इनका दिमाग फंसा हुआ हैं।

इनके अतीत में हुआ एक ख़तरनाक हादसा जिसके लिए ये जनाब खुद को जिम्मेदार समझ बैठे हैं उसने इनको खुद पर शक करने को मजबूर कर दिया हैं।

डर जो कभी इनकी जिंदगी में था ही नहीं वो रोज रात के सपने में और सुबह चेहरे के सामने आईने में दिखाई देता हैं।

सिर्फ तीन सवाल हैं।

पहला, मंदिर में फँसे लोगों में से कितने लोग जिंदा बचेंगे? बच भी पाएंगे या नहीं।

दूसरा, हनूत सिंह के लिए चार आतंकवादियों को मारना बाएं हाथ का खेल हैं, उनकी ट्रेंनिग पक्की हैं लेकिन क्या ये खुद अपने दिमाग में छुपे राक्षस से लड़ पाएंगे?

और तीसरा सवाल ये की इंसान के रूप में छुपा बैठा जानवर अपने दूसरे जानवर साथी को जेल की दीवार के पीछे से आजाद कर लेगा या फिर इसका किसी दिन किसी बड़े से गढ्ढे में मिट्टी के नीचे दफ़न होने का सफ़र शुरू हो गया हैं।

ऐसी मौत जिसका ये शत प्रतिशत हकदार हैं।

चलो State of Siege Temple Attack फ़िल्म की कहानी समझ गए तो सीधा main पॉइंट पर आ जाते हैं।

State of Siege Temple Attack फ़िल्म को स्पेशल क्या बनाता हैं?

जवाब एकदम आसान हैं सिर्फ दो शब्द में – डर और इज्जत।

जब किसी ओर के इशारों पर जिंदगी जीनी पड़ती हैं वो भी जब पता हो कि कुछ ही सेकंड्स, मिनट या घण्टों के बाद वो हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी, तब एक एक सांस की कीमत समझ में आ जाती हैं और कुछ भी मामूली नहीं लगता।

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State of Siege Temple Attack इस डर को स्क्रीन पर उतारने में एकदम सफल हो जाती हैं।

बहुत सारे shocking पल आएंगे जब आप असहज महसूस करोगे, डर सिर्फ दिखाई ही नहीं देगा बल्कि महसूस होगा जैसे मानों मंदिर के अंदर आप खुद फँसे हुए हो।

बहुत कुछ चाहते हुए भी कुछ ना कर पाना जिंदगी का सबसे बुरा पल होता हैं।

लेकिन इसी डर से देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले सिपाहियों के लिए दिल से सच्ची इज्ज़त बाहर निकलती हैं, वो जो हमारी एक रात की नींद के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी दांव पर लगा देते हैं।

ऐसा प्यार जिसके सामने खुद का परिवार भी काफ़ी छोटा महसूस होता हैं।

ये वो फ़िल्म नहीं हैं जिसे थिएटर में रिलीज़ करके आप लोगों की भीड़ इकट्ठा करके अपनी पॉकेट भर लो, ये वो कहानी हैं जिसकी बॉलीवुड को सबसे ज्यादा जरूरत हैं, असली दमदार और ओरिजनल कॉन्टेन्ट, एकदम बवाल चीज।

फ़िल्म State of Siege Temple Attack को इंटेलीजेंट बनाता हैं ये कॉन्सेप्ट की सोल्जर्स भी बेचारे इंसान ही होते हैं।

उनका भी अतीत हैं वर्तमान हैं जो दिमाग पर अगर हावी हो जाए तो हम जैसे मामूली लोगों का भविष्य बॉर्डर के उस पार से कंट्रोल किया जाएगा।

एक हीरो को हीरो बनने के लिए सिर्फ दुनियाँ से नहीं खुद से भी लड़ना पड़ता हैं।

फ़िल्म State of Siege Temple Attack का मैसेज एक सटीक और असरदार हैं।

हालाँकि फ़िल्म हैं एकदम मस्त सीधा आंखों से होते हुए दिल पर अटैक करती हैं लेकिन दिमाग को सन्तुष्टि महसूस नहीं होगी।

जिस तरीके की डीटेलिंग URI जैसी फ़िल्मों में की गयी थी जिसकी वजह से कहानी को हम खुद से जोड़ बैठे थे वो डिटेल्स State of Siege Temple Attack फ़िल्म से मिसिंग हैं।

क्या होता हैं क्यों होता हैं? सब कुछ बता दिया लेकिन कैसे? वो रह ही गया।

State of Siege Temple Attack Review: एक्टिंग और परफॉर्मेंस

ऊपर से अक्षय खन्ना जैसे underrated एक्टर जब किसी फिल्म में घुस जाते हैं तो वो सिनेमा को भी हक़ीक़त की तरफ़ धकेल सा देते हैं।

एक बार फिर से उनकी परफॉर्मेंस एकदम टॉप लेवल की हैं ऐसा लगता ही नहीं हैं की उनको कैरेक्टर में घुसने की जरूरत हैं।

बिना किसी ज्यादा एफर्ट के scene पे scene किये जा रहें हैं, एकदम natural एक्टिंग।

लेकिन छोटी सी दिक्कत ये की फ़िल्म State of Siege Temple Attack में ये जो आतंकवादियों वाले कैरेक्टर्स बनाएं गए हैं उनको देखकर तो गुस्सा और डर महसूस होता हैं लेकिन जैसे ही इनका मुँह खुलता हैं ट्रैजेडी कॉमेडी में बदल जाती हैं।

बिना सिर पैर के जो डॉयलोग्स लिखें गए हैं और इनका जो नकली पंजाबी लहजा बनाया गया हैं वो बिल्कुल भी प्रभाव नहीं छोड़ता, एकदम कमजोर, खोखली और जबरदस्ती कलाकारी वाली राईटिंग।

State of Siege Temple Attack Review: क्या अच्छा क्या बुरा?

जिस तरह फ़िल्म State of Siege Temple Attack में डर जैसे एहसास को ना सिर्फ स्क्रीन पर बल्कि हमारे दिल में जिंदा किया गया वो डायरेक्शन कमाल का हैं गुरु।

किसी साउथ फ़िल्म के रीमेक या फिर पुराने माल को नये पैकेट में बेचने की स्कीम से बचकर खुद का नया फ्रेश ओरिजनल माल लाने का आईडिया काफ़ी अच्छा हैं।

अक्षय खन्ना की बिना किसी मिलावट दमदार एक्टिंग इस फ़िल्म को एक नई ऊंचाइयों पर ले गयी हैं बॉस, बॉलीवुड को जरूरत हैं सर जी आपकी।

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फ़िल्म में जिस तरह यूनिफॉर्म में घूमने वाले असली हीरो की दूसरी लड़ाई को दिखाया गया जो वो खुद से लड़ता हैं और हमेशा भारी भरकम इमोशनल डॉयलोग्स के पीछे कहीं छुप सी जाती हैं, उसको फोकस में डालना वाकई कमाल हैं दोस्त।

लेकिन फ़िल्म State of Siege Temple Attack में जिस तरह इन आतंकवादियों के बीच मजाकिया और बिना सिर पैर वाली बातचीत हुई उसने शो का लेवल थोड़ा गिरा दिया गुरु।

साथ ही जिन छोटी छोटी डिटेल्स को नजरअंदाज किया गया फ़िल्म में वे भी थोड़ा बुरा एहसास देती हैं हम सिनेमा लवर्स को।

State of Siege Temple Attack Review: FAQ

State of Siege Temple Attack फ़िल्म कब रिलीज़ हुई थी?

State of Siege Temple Attack फ़िल्म को 9 जुलाई 2021 के दिन ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर रिलीज़ किया गया था।

क्या State of Siege Temple Attack वास्तविक घटना पर आधारित हैं?

हाँ, यह फ़िल्म 24 सितंबर 2002 में गांधीनगर, अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर में हुए आतंकवादी हमले के ऊपर बनी हैं जहाँ एनएसजी कमांडो ने मोर्चा संभाला था।

ये State of Siege का क्या मतलब होता हैं?

State of Siege का मतलब ऐसी परिस्थिति से होता हैं जिसमें सरकार देश, शहर या फिर किसी भी बिल्डिंग से लोगों के आने जाने पर रोक लगा देती हैं, अमूमन आतकंवादी हमलों के दौरान ऐसा किया जाता हैं।

वास्तव में इस घटना में क्या हुआ था?

24 सितंबर 2002 को दो आतंकवादी अक्षरधाम मंदिर में घुस गए थे जहाँ 33 लोगों की मौत और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए थे, जिसके बाद 6 लोगों को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

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