Toofan, एक ओर स्पोर्ट्स पर बनी फिल्म जो अमेज़ॉन प्राइम पर उपलब्ध हैं।
जब इस फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ था तब से ही लोग इस फ़िल्म की तुलना सलमान ख़ान की सुल्तान फ़िल्म से करने लगे थे।
उनका कहना था कि Toofan फ़िल्म की कहानी भी सुल्तान के जैसी ही होगी। वहीं टिपिकल बॉलीवुड मसाला जो हम आज तक देखते आए हैं।
लेकिन क्या वो लोग सही हैं जो ऐसा बोल रहें हैं और क्या ये फ़िल्म सुल्तान के जैसी ही हैं? ये जानेंगे हम इस Toofan review में।
Toofan Movie Review in Hindi
Toofan Cast (स्टार कास्ट)
फ़िल्म Toofan का मुख्य किरदार हैं अजीज अली उर्फ़ अज्जू भाई जो वसूली का काम करता हैं, तोड़ना फोड़ना सब कुछ। इस किरदार को निभाया हैं फ़रहान अख्तर ने जो इससे पहले The Sky is Pink में प्रियंका चोपड़ा के साथ नजर आ चुके हैं।
इस फ़िल्म में अज्जू भाई के कोच बने हैं परेश रावल जिनका नाम हैं नारायण प्रभु उर्फ़ नाना।
Toofan में इनकी पार्टनर बनी हैं मृणाल ठाकुर। इनका नाम हैं अनन्या प्रभु जो पेशे से एक डॉक्टर हैं और कोच नारायण प्रभु की बेटी भी हैं।
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फ़िल्म में अज्जू के एक दोस्त का किरदार हैं मुन्ना, जिसका कैरेक्टर प्ले किया हैं हुसैन दलाल ने जबकि बाला काका के कैरेक्टर में दिखाई देंगे मोहन अगाशे। बाला काका नारायण प्रभु के दोस्त हैं।
डॉक्टर मैडम के हॉस्पिटल में एक सिस्टर हैं सिस्टर डिसूजा जिसका किरदार निभाया हैं सुप्रिया पाठक ने।
फ़िल्म में विजय राज भी अपनी special appearance देते हैं जहाँ उनके किरदार का नाम हैं जाफ़र भाई।
इसके अलावा बॉक्सर गगनप्रीत सिंह भी इस फ़िल्म में एक्टिंग करते हुए दिखाई देंगे जो पृथ्वी सिंह के किरदार में हैं और एक बॉक्सर हैं।
Toofan Story (कहानी)
फ़िल्म Toofan की कहानी हैं अजीज अली उर्फ़ अज्जू की। अज्जू एक street fighter हैं, तोड़ना फोड़ना इनके खून में हैं।
इनका धंधा हैं ख़ौफ़ का, मतलब सामने वाला अगर आँखों में देखें तो डर से उसकी पेंट गीली हो जानी चाहिए।
फिर इनकी जिंदगी में entry होती हैं एक डॉक्टर मैडम की, वो जो अज्जू भाई को अजीज अली बनने का रास्ता दिखाती हैं।
हाथ चलाने हैं तो मारपीट और वसूली के लिए नहीं बल्कि बॉक्सिंग रिंग में चलाओ, नाम बनाओ, इज्जत कमाओ।
अब जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा कटवा लिया था ठीक उसी लेवल के गुरुजी हैं प्रभु सर जो मुम्बई के best बॉक्सिंग कोच हैं।
और अजीज अली का मोहम्मद अली बनने का सपना इनसे होकर गुजरता हैं।
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बस गुरु चेले की जोड़ी जम जाती हैं और अज्जू भाई बॉक्सिंग रिंग में एक के बाद एक बॉक्सर्स की धुनाई करके किसी दिन देश के लिए मेडल जीतने का सपना सजा लेते हैं।
अब बारी हैं कहानी में विलेन की entry की। प्यार, इश्क, मोहब्बत इनमें से कुछ भी नहीं बल्कि विलेन बन गए हैं अपने अज्जू भाई और डॉक्टर मैडम के अलग अलग धर्म।
अज्जू भाई मुसलमान हैं तो वहीं डॉक्टर मैडम हिन्दू। अब दो रास्ते हैं, पहला द्रोणाचार्य को अंगूठा काटकर दे दो मतलब प्यार की कुर्बानी और सिर्फ बॉक्सिंग पर फोकस।
दूसरा रास्ता हैं की अपनी गुरुजी की बेटी से जानलेवा इश्क जिसमें किसी की जान तो जरूर जाएगी।
देखों तूफ़ान का थीम हैं मौसम, जो एक दिन से दूसरे दिन ना जाने कितनी बार बदल जाता हैं? ठीक वैसे ही इंसान जो आज बदनाम हैं तो कल अखबारों में उसका नाम छपेगा।
Toofan फ़िल्म का कॉन्सेप्ट वाकई दमदार हैं लेकिन किंतु परन्तु नया नहीं हैं, एकदम जीरो प्रतिशत ओरिजनल।
मेरीकॉम याद हैं आपको? जिसको शादी के बाद लगता हैं की कैरियर ख़त्म लेकिन फिर भी देश को मैडल जीताती हैं।
या फिर सुल्तान, अपनी प्रेमिका का दिल जीतने के लिए निकम्मा आशिक़ कुश्ती लड़कर नाम और इज्जत कमाता हैं।
चलो एक बारगी ये सब समानताएँ नजरअंदाज भी कर दी जाए लेकिन फिर भी Toofan फ़िल्म की कहानी बेहद predictable है, मतलब अगले scene में क्या होगा कैसे होगा? सब कुछ पहले से ही पता हैं।
शुरुआती scene से ही अंत के scene का पता चल जाता हैं, जीरो प्रतिशत excitement, जीरो प्रतिशत surprise, जीरो प्रतिशत ट्विस्ट, जीरो प्रतिशत क्रिएटिविटी।
Toofan का first हाफ़ हैं एकदम दमदार, मजा आएगा, बॉक्सिंग में चलने वाले मुक्के और प्यार मोहब्बत में बजने वाले गाने सब कुछ दिल से आरपार हो जाते हैं।
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लेकिन जैसे ही दूसरे हाफ़ में emotions का रायता फ़ैलाया जाता हैं फ़िल्म के साथ साथ मूड की भी ऐसी तैसी हो जाती हैं।
इतना ज्यादा फैमिली ड्रामा घुसा दिया गया जिसमें बेचारी बॉक्सिंग कहीं पीछे छूट जाती हैं, हमारा बॉक्सर हीरो सिर्फ लवर बॉय, पापा बनकर रह जाता हैं।
ऊपर से बॉक्सिंग मैच के पीछे डाली गई ये आईपीएल वाले जतिन भईया की शायरी वाली कॉमेंट्री, मतलब ये किसका आईडिया था?
फ़िल्म को वास्तविकता से एकदम कहीं दूर ले जाकर उसकी आत्मा को कहीं बाहर खींच लेता हैं ये सब।
अगर real बॉक्सिंग फ़िल्म देखनी हैं तो जाकर मुक्काबाज देखिए, एक एक scene हक़ीक़त से उठाकर प्रस्तुत किया गया हैं इस फ़िल्म में। कुछ भी फ़िल्मी नहीं हैं सिर्फ मार धाड़ जबकि वो एक लव स्टोरी हैं।
Toofan की सबसे बड़ी दिक्कत जानते हो क्या हैं? अज्जू भाई की personal life हो या professional, कोई भी प्रॉब्लम सिर्फ एक scene तक रहती हैं।
जैसे ही अगला scene आता हैं जादू की छड़ी घूमती हैं और प्रॉब्लम दूर, उसके पीछे का struggle तो दिखाया ही नहीं।
फिर चाहें इनकी अलग अलग धर्म वाली शादी जिसका इतना बड़ा बवाल बनाया गया फिर फ़टाफ़ट चुपचाप सब कुछ शांति से हो गया।
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या फिर बॉक्सिंग रिंग में बड़े बड़े चैम्पियन्स को अजीज अली 5 साल बाद आते ही मुहँ के बल पटक देते हैं, मतलब जीते भी तो सीधे नॉकआउट से।
और हाँ, Toofan फ़िल्म बहुत ज्यादा लम्बी हैं मतलब आधे घण्टे तो फालतू में extra खींच दी गयी हैं।
धीरे धीरे scenes आगे बढ़ते हैं और अगर आप उनसे connection भी feel नहीं करते तो एक सेकंड भी एक घण्टे के बराबर महसूस होता हैं।
एक्टिंग और परफॉर्मेंस
हालाँकि फ़िल्म Toofan में कुछ अच्छी चीजें भी हैं जैसे casting, जो एक्टर्स चुने गए हैं वो सब अपने कैरेक्टर्स के साथ न्याय कर रहें हैं।
फ़रहान अख्तर ने Toofan को जैसे पहन लिया हैं, उनके बोलने का तरीका चोरी चुपके वाली हँसी या फिर बॉक्सिंग ग्लव्ज के पीछे से दुश्मन के चेहरे पर पड़ने वाले मुक्के, सब कुछ impressive हैं।
परेश रावल the talent factory, जितना वक्त मिला उतने में पूरी फिल्म को अपने इशारों पर नचाया हैं कठपुतली की तरह।
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ये हिन्दू मुस्लिम वाली ideology में फंसा हुआ इनका जो कैरेक्टर लिखा गया हैं वो काफ़ी relatable महसूस होता हैं और आपको हकीकत की याद दिलाएगा।
लेकिन छुपा रुस्तम सबसे बड़ा surprise हैं मृणाल ठाकुर, Toofan फ़िल्म से अगर आप अपने आपको दूर नहीं रख पाते हो तो उसका सबसे बड़ा कारण ये डॉक्टर मैडम ही हैं, टैलेंट और खूबसूरती का ख़तरनाक combination हैं।
रेटिंग
तो यार मेरी तरफ से Toofan फ़िल्म को 5 में से 2 स्टार्स मिलेंगे।
एक स्टार तो वहीं अपना casting के लिए, टैलेंट बहुत सारा था लेकिन शर्म की बात हैं कि इनके पास करने को कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन जो भी मिला उसको अच्छा किया।
एक स्टार इस लव स्टोरी को हकीकत से उठाए गए अलग ideology वाले चेलेंज से लडाने का आईडिया काफ़ी real और relatable हैं, डर लगेगा ये सब देखकर जब सिनेमा हकीकत बन जाती हैं।
बात करूँ नेगेटिव्ज की तो एक स्टार कटेगा जबरदस्ती फ़िल्म में डालें गए कुछ irritating साइड कैरेक्टर्स के लिए, जो शानपट्टी और फालतू होशियारी झाड़कर फ़िल्म की आत्मा से छेड़छाड़ करते हैं।
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वहीं दूसरी तरफ़ विजय राज जैसे एक्टर को सिर्फ 2-3 scenes के लिए रखा गया, ये बिल्कुल सही नहीं हैं।
एक स्टार कटेगा एक्शन स्पोर्ट थ्रिलर को सिर्फ फैमिली ड्रामा बनाके अंत में जादू की छड़ी घुमाके Toofan को नेशनल चैम्पियन बनाने वाले आईडिया के लिए।
और एक स्टार बहुत ही ज्यादा कमजोर स्टोरी लाइन और राईटिंग के लिए। एक तो predictable और ऊपर से धीमी और उबाऊ, कुछ भी नया नहीं हैं ना ही कुछ मजेदार।
इसके बाद क्या देखें?
Sardar Udham – जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित ये फ़िल्म 2021 की सबसे कमाल की फिल्मों में से एक हैं।
Pushpa – एक ऐसी फ़िल्म जिसने पूरे बॉलीवुड को हिला दिया। अगर ये फ़िल्म नहीं देखी अभी तक तो फिर क्या देखा आपने? अल्लु अर्जुन के फैन हो तो इसे अभी देख डालो, अमेज़ॉन प्राइम पर मिल जाएगी हिंदी में।
83 – भले ही बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिरी हो ये फ़िल्म लेकिन भारत के पहले वर्ल्डकप की कहानी में दम हैं इसलिए इसे भी जरूर देखें।